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9 May 2022 · 1 min read

पिता

पिता के बाद,
याद आता है,
बहुत कुछ-
उनका त्याग,
उनकी तपस्या।
हमारी ख़ातिर
हमारी परवरिश हेतु,
हमीं से दूर रह
हर पल
चिंताकुल रहना,
हमारी ज़िद्द भरी भूलो पर,
कुछ न कहना,
उन्हें नज़रअंदाज़ करना।
उलहाना में भी-
प्यार पिरोना।
सच है
पिता आस हैं,
विश्वास है,
परिवार का अभिमान हैं,
उनके बाद ही समझ आता है,
उनके साए में ही,
ज़िंदगी है,
उनके बाद
मंज़र सब सूना
और बेजान है।

काजल चौधरी –
कानपुर नगर (उत्तर प्रदेश)

14 Likes · 22 Comments · 658 Views

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