पिता 02(01 के गतांक स आगू
___________________________
शीला अहल भोरे गाड़ी पकडि नैहर लेल प्रस्थान के ली।भरि बांट मस्तिष्क मे द्वंद के दंगल हरहोरि मचौने छल,पिता के हमर उठौल डेग पर केहन प्रतिक्रिया हेतैन्ह नहि जानि?स्त्रीगण लेल त दूए टा स्थान छैक नैहर की सासुर।
गंतव्य पर गाड़ी पहुंचल शीला के बदहवास अवैत देख माय बाप क करेज काॅप लगलैन्ह,राति स उपासल शीला पहिने किछु खैई लेल मांगलकै खेला क बाद सविस्तर सभ घटना कहि भोकासि पारि के कान लागल।
सभ टा सुनला के बाद पिता कहलखिन आहॉ अनुचित केलौ,आहॉ नैहर आवि जैतैंहु समाज छैक पंचैति होईतै,मुदा आहॉ त मामला कचहरि द ऐलौ,आब हम सभ की क सकैत छी?मुदा माय बेटी के करेज स लगेने रहलि।
पिता के बात सुनि शीला के मन झूस भ गेलै,मुदा नहि जानि कत स आत्मबल के प्रादुर्भाव भेलै ओ बाजल ” बाबूजी भाई जी जेकॉ हमरो जन्मदाता कहीं दूनू छी,हम बोझ नहि बनव,बस रहै के आश्रय टा दिय।आहॉ ऐतावा पढ़ा देने छी जे हम कमा क खा लेव आ अपन संतान पोशि लेव।
पिता क अहं पर चोट छल,पिता बजला गाछ के पात भारि नहि लगैत छैक,आहॉ रहू ,मुदा समाज की कहत?
शीला जीवा के हमरा अछि समाज के नहि, हमर ज़िन्दगी हम जेना जिवी,समाज में केकरा अपन रोजी रोटी स पलखैत भेटैत छै जे हमरा देखत।
समय बीत लगलै शीला के प्रसव क समय लगचियैल जाइत छलैक,शीला नैहर आ सासुर के सभटा जेवर बेचलक,कुल छ लाख साइट हजार क जेवर छलै सभ पाई बैंक ध देलक पॉच लाख फिक्स केलक,दस हजार में सेकेन्ड हैण्ड लैंप टाप आ छ हजार में प्रिन्टर।भोर साॅझ मुहल्ला के बच्चा सभ के ट्यूशन पढावय आ दिन भरि कचहरी में टाइप करय।
पिता के सेहो आर्थिक सहयोग करैन्ह,ज़िन्दगी चलऽ लगलै।
कल्हि पति वला केस के सुनवाई छलै,इम्हर प्रसव के पूरा समय,वकील कहलकै दू मास के अगिला तारीख ल लैत छी,शीला कहलकै नहि हम काल्हि गवाही देवै।
शीला कटघरा मे जा पूरा घटना सत्य सत्य कहि देलकै,प्रतिपक्ष के वकील खूव जिरह केलकै,अंत मे जज 307 के मुजरिम मानैत 7 वर्ष की सजा सुना देलकै।
आई शीला के मोन हल्लुक लागैत छलै। शीला घर आवि सुति रहल।रात्रि मे प्रसव वेदना उठलै,नर्स के बजाओल गेल डेढ़ बजे रात्रि में शीला के जौउआं बच्चा भेलै एक टा बेटा आ एक टा बेटी ।
जच्चा बच्चा दूनू स्वस्थ।
एक मास के बाद शीला अपन काज में लागि गेलि किस्त पर स्कूटी किनलि ऐते दिन मे बहुत वकील सभ स परिचय भ गेल छलैन्ह।सभ ठाम स काज आनि क आ भोर सांझ ट्यूशन बच्चा के देख देख।
शीला के ऐहन अभिशप्त जीवन क पचीस वर्ष बीत गेल छलै,बेटा के नाम अनमोल आ बेटी को नाम अदिति रखने छल।दूनू
समाजशास्त्र मे स्नातकोतर भगेल बेटी के स्वर्ण पदक भेटलै बेटा के द्वितीय स्थान भेटलै।
अनमोल के दिल्ली पुलिस मे चयन भ गेलै आ बेटी नेट “क्वालीफाई” केलक आ ईश्वर क कृपा दू नू भाई बहिन के दिल्लीये मे नौकरीयो भ गेलै अदिति डी यू में व्याख्यात्री भेलि आ अनमोल जामा मस्जिद थाना के एस.एच.ओ.।
शीला माता पिता दूनू के कर्त्तव्यक निर्वह्न कैलन्हि।
दूनू भाई बहिन माय के लक दिल्ली चलि आयल।
क्रमशः
अंतिम किस्त तेसर
पिता तीन टा एखन धरि शीला के पिता,शीला के पति के पिता जे बेटा क आगॉ विवश छल।तेसर शीला स्वयं पिता बनि संतान के बनौलक।
आशुतोष झा
01/07/2021