पिता है भावनाओं का समंदर।
पुत्र पिता से कुछ ना छिपाते है।
जब यह पिता मित्र बन जाते है।।1।।
मेरे पिता तो ऐसे ही है सदा से।
तेज धूप में छांव वो बन जाते है।।2।।
हर उलझन ही सुलझ जाती है।
मित्र बनके जब वो समझाते है।।3।।
भाग्यवान है हम सब सृष्टि पर।
जो ईश्वरीय रुप में पिता पाते है।।4।।
पुत्र की लालसा पूरी करता है।
पितृ जैसा दूजा मित्र ना पाते है।।5।।
पिता है भावनाओं का समंदर।
पुत्र यहां हर जज्बात को पाते है।।6।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ