-पिता है फरिश्ता
-पिता है फरिश्ता
पिता वो फरिश्ता है जो बच्चों की दूर करें तकलीफ़
सह घाम,सर्द रात दिन बच्चों को दे अपना आशीष।
संयम और धैर्य धरकर खड़े रहते हिमाचल सा अडिग
कहते सदा,हार ना मानों कभी, समय भी हो चाहे विपरीत।
पिता एक शख्स वहीं जो घर की होता मकान मजबूत नींव,
रोक-टोक कदम कदम पर करते चाहे बनाते वो हमें शरीफ।
नहीं जताते मां के जैसै होती फिक्र हमारी मां से उन्नीस
मन भीतर स्नेह भरा,जताते बाहर से नारियल सरीख ।
कहते सदा वो हमसे मेरे रहते तुम चिंता कभी न करना,
कर्त्तव्य कर्म पर चलकर अपने सपनों को पूरा करना।
पिता रखें धीर अधीर जैसे वन में बहे अविरल समीर
मुस्कान अपनों की बरकरार रखें छुपा के निज नीर।
सबकी सुविधा का ख्याल रखें, नहीं खरीदे खुद का चीर,
रिश्ते नाते में सबसे प्यारे, पिता भी है पुत्र पति और वीर।
– सीमा गुप्ता अलवर राजस्थान