पिता ही तो है
पिता ही तो है
शिशु के एहसास,को जो जीता है
वो पिता ही तो हैं ।
उसके सपनो में ,जो रंग भरता है।
पल-पल उसके लिये सवँरता बिखरता है।
वो पिता ही तो है!!
उसके(बच्चे) कदम-कदम पर, जो अपनी हथेली बिछा देता है।
कभी उसे सर पर तो कभी कांधे पर बिठा लेता है ।
वो पिता ही तो है!!
जमीं पर,सितारे बिछा देता है।
बिन मांगे जो हर ख्वाहिश पूरी कर देता है।
उसकी साँसो में जो जीता है।।
वो पिता ही तो है,
जो बच्चे के जन्म के समय एक बार ,फिर जी उठता है!!
हाँ वो पिता ही तो है
✍️संगीता दरक
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