पिता हर रोल निभाता है
पिता हर रोल निभाता है।
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नसीब वाले होते हैं जिनके सर पर पिता का हाथ होता है।
सब जिद पूरी हो जाती है जब पिता का साथ होता है।।
पिता परमेश्वर के तुल्य है जो परिवार का पालन करता है।
पिता न हो परिवार मे फिर परमेश्वर ही पालन करता है।।
पिता पुत्र भी पति भी है परिवार में सब रोल निभाता है।
वह निर्माता भी निर्देशक भी है वह पूरी पिक्चर बनाता है।।
पिता बाहर जाकर ज्येष्ठ की दोपहरी में रोज जलता है।
वह माह महीने में भी बाहर सर्दी में खूब सिकुड़ता है।।
मां घर में चूल्हा जलाती है तो पिता बाहर धूप मे जलता है।
तब कहीं बड़ी मुश्किल से उनका पूरा परिवार चलता है।।
मां अगर बच्चो को पर देती है पिता उनको उड़ान देता है।
पिता अपने बच्चों के हौसला को एक नई जान देता है।।
आर के रस्तोगी गुरुग्राम