Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
20 Jun 2021 · 1 min read

पिता हर रोल निभाता है

पिता हर रोल निभाता है।
********************
नसीब वाले होते हैं जिनके सर पर पिता का हाथ होता है।
सब जिद पूरी हो जाती है जब पिता का साथ होता है।।

पिता परमेश्वर के तुल्य है जो परिवार का पालन करता है।
पिता न हो परिवार मे फिर परमेश्वर ही पालन करता है।।

पिता पुत्र भी पति भी है परिवार में सब रोल निभाता है।
वह निर्माता भी निर्देशक भी है वह पूरी पिक्चर बनाता है।।

पिता बाहर जाकर ज्येष्ठ की दोपहरी में रोज जलता है।
वह माह महीने में भी बाहर सर्दी में खूब सिकुड़ता है।।

मां घर में चूल्हा जलाती है तो पिता बाहर धूप मे जलता है।
तब कहीं बड़ी मुश्किल से उनका पूरा परिवार चलता है।।

मां अगर बच्चो को पर देती है पिता उनको उड़ान देता है।
पिता अपने बच्चों के हौसला को एक नई जान देता है।।

आर के रस्तोगी गुरुग्राम

Language: Hindi
2 Likes · 282 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Ram Krishan Rastogi
View all
You may also like:
पाप का भागी
पाप का भागी
Dr. Pradeep Kumar Sharma
"नहीं तैरने आता था तो"
Dr. Kishan tandon kranti
2836. *पूर्णिका*
2836. *पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
पता नहीं था शायद
पता नहीं था शायद
Pratibha Pandey
इंसानियत का कत्ल
इंसानियत का कत्ल
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
विकटता और मित्रता
विकटता और मित्रता
Astuti Kumari
*कभी जिंदगी अच्छी लगती, कभी मरण वरदान है (गीत)*
*कभी जिंदगी अच्छी लगती, कभी मरण वरदान है (गीत)*
Ravi Prakash
कितना तन्हा
कितना तन्हा
Dr fauzia Naseem shad
जिस आँगन में बिटिया चहके।
जिस आँगन में बिटिया चहके।
लक्ष्मी सिंह
सारे ही चेहरे कातिल है।
सारे ही चेहरे कातिल है।
Taj Mohammad
काश तु मेरे साथ खड़ा होता
काश तु मेरे साथ खड़ा होता
Gouri tiwari
पुरातत्वविद
पुरातत्वविद
Kunal Prashant
इन तूफानों का डर हमको कुछ भी नहीं
इन तूफानों का डर हमको कुछ भी नहीं
gurudeenverma198
जिंदगी है कि जीने का सुरूर आया ही नहीं
जिंदगी है कि जीने का सुरूर आया ही नहीं
कवि दीपक बवेजा
ग़ज़ल
ग़ज़ल
ईश्वर दयाल गोस्वामी
तेरे दिल की हर बात जुबां से सुनाता में रहा ।
तेरे दिल की हर बात जुबां से सुनाता में रहा ।
Phool gufran
क्या मथुरा क्या काशी जब मन में हो उदासी ?
क्या मथुरा क्या काशी जब मन में हो उदासी ?
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
I would never force anyone to choose me
I would never force anyone to choose me
पूर्वार्थ
"शहीद साथी"
Lohit Tamta
साक्षात्कार- पीयूष गोयल-१७ पुस्तकों को हाथ से लिखने वाले
साक्षात्कार- पीयूष गोयल-१७ पुस्तकों को हाथ से लिखने वाले
Piyush Goel
सुहाता बहुत
सुहाता बहुत
surenderpal vaidya
वीर तुम बढ़े चलो...
वीर तुम बढ़े चलो...
आर एस आघात
......?
......?
शेखर सिंह
मनुष्य जीवन है अवसर,
मनुष्य जीवन है अवसर,
Ashwini Jha
तेरा कंधे पे सर रखकर - दीपक नीलपदम्
तेरा कंधे पे सर रखकर - दीपक नीलपदम्
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
ना जाने सुबह है या शाम,
ना जाने सुबह है या शाम,
Madhavi Srivastava
पूर्णिमा की चाँदनी.....
पूर्णिमा की चाँदनी.....
Awadhesh Kumar Singh
हसरतें बहुत हैं इस उदास शाम की
हसरतें बहुत हैं इस उदास शाम की
Abhinay Krishna Prajapati-.-(kavyash)
गमों के साथ इस सफर में, मेरा जीना भी मुश्किल है
गमों के साथ इस सफर में, मेरा जीना भी मुश्किल है
Kumar lalit
गुमनाम मुहब्बत का आशिक
गुमनाम मुहब्बत का आशिक
डॉ. श्री रमण 'श्रीपद्'
Loading...