पिता पराए हो गए ..
दुनिया से क्या चले गए तुम ,
तुम्हारे लिए पराए हो गए हम ।
या तो सपनो में आते ही नहीं ,
और यदि आ गए तो देखते ही नहीं।
और गर देखोगे ही नहीं क्या जानोगे,
हमारा हाल तुम क्या भला पहचानोगे ।
बाकी सब तो ठीक है अपने में खोए हुए ,
और कुछ है अपने आप में समझौता किए ।
पुत्र तो आपके सफलता को प्राप्त हुए ,
माता तो है उनके प्रति संतोष किए हुए ।
बहुत लंबा समय गुजारा तुम्हारे बिना,
बहुत कुछ सहा उन्होंने तुम्हारे बिना ।
अब जाकर सुख के पल गुजार रही है,
मगर पुत्री के प्रति संतप्त रह रही है ।
अब तुम्हें तो कुछ खबर है ही नहीं,
अपनी प्यारी पुत्री की भी फिक्र नहीं ।
छोड़ दिया जिसे बेसहारा और अनाथ ,
सबके होते हुए भी कोई नहीं है साथ ।
पुत्री की बड़ी चाह थी तुम्ही को न !
मगर जाते हुए उसका ख्याल कुछ आया ना ।
तुम क्या गए उसकी तो किस्मत रूठ गई ,
बिना माली के जैसे एक कली मुरझा गई ।
ना कोई लाड़ करने वाला न कोई दुलार,
ना नाज़ नखरे उठाने वाला न वो प्यार ।
पुत्री की एक पुकार पर दौड़ आते थे तुम ,
उसके दुख सुख से कितना जुड़ाव रखते थे तुम ।
अब है बेटी का जीवन है दर्द में डूबा हुआ ,
उसका कलेजा है छलनी और दामन आंसुओं में डूबा हुआ ।
कोई उसके आंसू पोंछने वाला नहीं ,
या यूं कहो किसी को फुर्सत ही नहीं ।
सारे सपने टूट गए पंछी सी पिंजरे में कैद हुई ,
एक सैयाद रूपी किस्मत के शिकंजे में वो फंसी हुई ।
आत्म विश्वास और स्वाभिमान सब आहत हुआ ,
किस तरह से उसकी स्वतंत्रता का हनन हुआ ।
मगर तुम्हें क्या ! तुम तो अब अजनबी हो न !,
दूर जा चुके हो अब उससे कोई संबंध है न ।
काश ! तुम अपनी पुत्री के लिए इतना ही कर पाते,
ईश्वर से कहकर उसके लिए मुक्ति ही मांग लेते ।
कुछ ऐसा वरदान की सब दुखों से पल में छूट जाए ,
शत्रु उसके मिट जाए या वही संसार से मुक्त हो जाए।
मगर ऐसा सौभाग्य कहां उस दुर्भाग्य हीन का ,
अब उसे भगवान क्या पूछे जब पिता ही न रहा उसका ।
अब तुम पिता ! सही में पराए हो गए क्या ??
अब तुम्हें उसके दर्द का एहसास नहीं होता क्या ?
तभी तुम सपनो में भी अजनबी सा व्यवहार करते हो,
हमें देखकर भी अनदेखा सा कर देते हो ।
हे पिता ! तुम क्यों पराए हो गए ..