पिता जैसा यार नही
*** पिता जैसा यार नही ***
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पिता से बढ़ कर प्यार नही,
दुनियादारी का व्यापार नहीं।
बोझिल मन चाहे बूढ़ा बदन,
उनके जैसा प्यारा यार नही।
सुंदर बगिया का है वो माली,
जंचता उन बिन संसार नहीं।
निज खुशियाँ सारी तजकर,
टूटे लड़ियों के है तार नहीं।
संकट को मोचन कर देता,
बढ़ने की रुकी रफ्तार नही।
हर मुश्किल हल कर लेता,
जीवन मे मानी हार नहीं।
मनसीरत का जीवन दर्शन,
वृद्ध पिता कंधे पर भार नहीं।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)