पिता के पदचिह्न (कविता)
पिता के पदचिह्न
राह सत्य की बड़ी कठिन है
कोशिश करके चलते रहना
आगे-आगे पिता चलेंगे
तुम पद चिन्हों पर चलना
यदि तपोगे स्वर्ण बनोगे
द्रवित होकर ढलते रहना
सहनशक्ति से बनोगे अर्चा
नही सड़क पर डलते रहना
©दुष्यन्त ‘बाबा’
पिता के पदचिह्न
राह सत्य की बड़ी कठिन है
कोशिश करके चलते रहना
आगे-आगे पिता चलेंगे
तुम पद चिन्हों पर चलना
यदि तपोगे स्वर्ण बनोगे
द्रवित होकर ढलते रहना
सहनशक्ति से बनोगे अर्चा
नही सड़क पर डलते रहना
©दुष्यन्त ‘बाबा’