Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
17 Jun 2024 · 2 min read

पिता के नाम पुत्री का एक पत्र

माँ को गुजरे साल हुए
यादें नित्य सताती है
छांव पिता की देख आज
आँखे भर भर आती है।

जग सारा दीपक समान
माता घृत समान है होती,
बनकर बाती पिता दिये की
बुझने कभी न इसको देती।

सहती कष्ट मातु नौमासा
पिता अनवरत सहता है,
अवसादों की तपती रेत में
बादल सा छा जाता है।

रहते हुए पिता के कोई
बांका बाल नही है होता,
ऐसे नही पिता पुत्री का
निर्विवाद रक्षक कहलाता।

कहता राजदुलारी हमको
रंक बना खुद फिरता है,
राजपाट अपना सर्वस्व
न्योछावर सहर्ष करता है।

हाथ डाल खाली जेबो में
कहता तुम्हे चाहिए क्या?
इतना बड़ा दिलासा झूठा
पापा देकर तुम पाते क्या?

बहुत कष्ट पाया तुमने
जब से जग में मैं आयी हूँ
पापा सही बोलना तुम
क्या सच मे परी तुम्हारी हूँ?

कई बार मैंने देखा है
माँ से छुप कर बातें करते,
मेरे भविष्य की चिंता में
खपाते तुम्हे और है घुटते।

था अलभ्य को जब पाया
छाती तेरी तब देखी थी
कुर्बान सौ पुत्रों पर बेटी
हाँ तुमने यही कही ही थी।

पापा क्या निहाल हुए तुम
चमक आँख में जो देखी
विकट संपदा चारो ओर
तेरे बिन पर जरा न भाती।

कहता बेटी लाज हमारी
इज्जत सदा हमारी बनना,
सर नहि नीचा होय कभी
ऐसा कृत्य कभी ना करना।

पिता दिये के बाती है
हाँ मैं उसकी थाती हूँ,
आज भी मेला उसके संग
नित्य स्वप्न में जाती हूँ।

निर्मेष जगत की रीति यही
विदा एकदिन करता है
मजबूत बना सबके समक्ष
मुहँ ढाप रोया करता है।

तुच्छ लगा सब लिखा हुआ
तेरे निमित्त मेरे पापा
दवा मात्र एक तुम मेरे हो
लाख दुःखों की हे पापा।

आओ लौट जहाँ भी हो
तेरे कंधे पर चढ़ना है
नही लुभाते बंगले कोठी
हाथ पकड़ संग चलना है।

निर्मेष

15 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
View all
You may also like:
*गीत*
*गीत*
Poonam gupta
हे सर्दी रानी कब आएगी तू,
हे सर्दी रानी कब आएगी तू,
ओनिका सेतिया 'अनु '
यूनिवर्सिटी नहीं केवल वहां का माहौल बड़ा है।
यूनिवर्सिटी नहीं केवल वहां का माहौल बड़ा है।
Rj Anand Prajapati
चूड़ियाँ
चूड़ियाँ
लक्ष्मी सिंह
आत्मबल
आत्मबल
Punam Pande
सूर्ययान आदित्य एल 1
सूर्ययान आदित्य एल 1
Mukesh Kumar Sonkar
फाउंटेन पेन (बाल कविता )
फाउंटेन पेन (बाल कविता )
Ravi Prakash
लोगो का व्यवहार
लोगो का व्यवहार
Ranjeet kumar patre
गगन पर अपलक निहारता जो चांंद है
गगन पर अपलक निहारता जो चांंद है
इंजी. संजय श्रीवास्तव
ग़ज़ल _ मिले जब भी यारों , तो हँसते रहे हैं,
ग़ज़ल _ मिले जब भी यारों , तो हँसते रहे हैं,
Neelofar Khan
हम थक हार कर बैठते नहीं ज़माने में।
हम थक हार कर बैठते नहीं ज़माने में।
Phool gufran
व्यवहारिक नहीं अब दुनियां व्यावसायिक हो गई है,सम्बंध उनसे ही
व्यवहारिक नहीं अब दुनियां व्यावसायिक हो गई है,सम्बंध उनसे ही
पूर्वार्थ
सिखला दो न पापा
सिखला दो न पापा
Shubham Anand Manmeet
माटी करे पुकार 🙏🙏
माटी करे पुकार 🙏🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
अगर किसी के पास रहना है
अगर किसी के पास रहना है
शेखर सिंह
खवाब है तेरे तु उनको सजालें
खवाब है तेरे तु उनको सजालें
Swami Ganganiya
जीवन
जीवन
sushil sarna
आज और कल
आज और कल
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
नव भारत निर्माण करो
नव भारत निर्माण करो
Anamika Tiwari 'annpurna '
सावन में घिर घिर घटाएं,
सावन में घिर घिर घटाएं,
Seema gupta,Alwar
🥀 *गुरु चरणों की धूल*🥀
🥀 *गुरु चरणों की धूल*🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
शिक्षक दिवस
शिक्षक दिवस
विजय कुमार अग्रवाल
#शेर
#शेर
*प्रणय प्रभात*
सुशील कुमार मोदी जी को विनम्र श्रद्धांजलि
सुशील कुमार मोदी जी को विनम्र श्रद्धांजलि
विक्रम कुमार
चेहरे पर अगर मुस्कुराहट हो
चेहरे पर अगर मुस्कुराहट हो
Paras Nath Jha
3025.*पूर्णिका*
3025.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
मेरे उर के छाले।
मेरे उर के छाले।
Anil Mishra Prahari
राजनीति
राजनीति
Dr. Pradeep Kumar Sharma
बेशक मैं उसका और मेरा वो कर्जदार था
बेशक मैं उसका और मेरा वो कर्जदार था
हरवंश हृदय
शर्मिंदगी झेलनी पड़ती है दोस्तों यहां पर,
शर्मिंदगी झेलनी पड़ती है दोस्तों यहां पर,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
Loading...