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14 Mar 2020 · 1 min read

पिता के अश्रु

बहने लगे जब चक्षुओं से
किसी पिता के अश्रु अकारण
समझ लो शैल संतापों का
बना है नयननीर करके रूपांतरण

पुकार रहे व्याकुल होकर
रो रहा तात का अंतःकरण
सुन सकोगे ना श्रुतिपटों से
हिय से तुम करो श्रवण

अंधियारा कर रहे जीवन में
जिनको समझा था किरण
स्पर्श करते नहीं हृदय कभी
छू रहे वो केवल चरण

:- आलोक कौशिक

संक्षिप्त परिचय:-

नाम- आलोक कौशिक
शिक्षा- स्नातकोत्तर (अंग्रेजी साहित्य)
पेशा- पत्रकारिता एवं स्वतंत्र लेखन
साहित्यिक कृतियां- प्रमुख राष्ट्रीय समाचारपत्रों एवं साहित्यिक पत्रिकाओं में दर्जनों रचनाएं प्रकाशित
पता:- मनीषा मैन्शन, जिला- बेगूसराय, राज्य- बिहार, 851101,
अणुडाक- devraajkaushik1989@gmail.com

Language: Hindi
2 Likes · 2 Comments · 254 Views
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