” पिता की स्मृति”
पापा आप हमें बहुत याद आते हैं
आपके कहे शब्द हमें आज भी सुहाते हैं
आपके दिये संस्कार आज भी काम आते हैं
आपकी दी शिक्षा से ही तो असंभव को संभव बना पाते हैं
कठिन परिश्रम का पाठ था पढ़ाया आपने
चलो सत्य के मार्ग पर हमेशा यही तो सिखाया था आपने
ईमानदारी को समझो अनमोल रत्न अपना,
कर्म को समझो जीवन अपना,यही पथ तो दर्शाया था आपने
मां की विरक्ता में भी , ममत्व की पूर्णता का अहसास कराया था आपने
आज भी अकेले में ,आपको अपने समीप पाती हूं
तभी तो आपके स्नेहिल स्पर्श का ,आज भी अनुभव कर पाती हूं
मेरे जीवन का सदैव आदर्श थे आप
अश्रुपूर्ण नेत्रों से आपको श्रद्धा सुमन समर्पित करती हूं आज
कामिनी खुराना