पिता की महिमा
परिवार की झलक,पिता श्री ने दिखलाई,
दूध दही विभिन्न व्यंजन रसमलाई खिलाई,
ढ़ाल बने जिसने भी तीर अंदाजी तलवार उठाई,
शब्द भेदी तर्क वितर्क दे दे कर सबकी बाट लगाई.
समझा सदा परिस्थितियों को न लड़े न भागे जागरण युक्ति अपनाई,
परिश्रम है सफलता की कुँजी, हम बच्चों को समझाई,
हार तुम मत मानना, अभ्यास को तुम मार्ग बनाना,
कदमों में होगी, जीत, उद्देश्य को तुम साधते रहना.
मन ही मन मनन करो तुम, मत किसी से ज्ञान की भीख माँगना,
मनोबल से भरे रहना, मत छुट पुट निर्रथक तथ्यों में उलझना.
ये सीख है उस बाप की, संयमित इसे समझना,
मृग मरीचिका से तुम सीखना, मायावी झांसों से बचना.
असल वही पिता है, जो नहीं औलाद को अपाहिज छोड़ता.
हर विपरीत दशा को समझ, सही मार्गदर्शन है करता.
रेणु बाला हंस
रेवाड़ी (हरियाणा)