पिता की गोद फैल जाऊँ
मन करता है फिर से , पिता की गोद फैल जाऊँ
दिल करता है फिर से,प्यारा सा बच्चा बन जाऊँ
होठों पर खिलूँ फिर से,पलाश सा खिल जाऊँ
टूटे फूलों की कलियों से ,बादल बन तन जाऊँ
ऐसी मिट्टी लाओ फिर से, खिलौना खेल जाऊँ
खेलते खेलते तुझसे ,कलेजे से मैं लग जाऊँ
सोचूँ मुलाकातें जिससे ,आँखे छल छल जाऊँ
लटक कर गले से ,मोती का हार सा बन जाऊं