पिता का बेटी को पत्र
हर बात अपने दिल की बताता हूं लाडली सुनाता हूं लाडली
याद तेरी आए बहुत
1️⃣
जब से तू गयी लाडली, सूना जहान है
सूनी है धरा सूना सूना आसमान है
पल ऐसा नहीं बीते तू जब याद न आई
पर सोचता हूँ बेटियाँ होती हैं पराई
सच कहता हूँ कुछ भी न छुपाता हूँ लाडली
बताता हूँ लाडली
याद तेरी आये बहुत
2️⃣
बुलबुल की तरह तेरा वो आँगन में चहकना
मुस्काके मेरे सीने से तेरा वो लिपटना
सोना भी मेरे साथ में और साथ ही खाना
वो नन्हें नन्हें हाथों से दो दाने खिलाना
कुछ भूलता नहीं है भुलाता हूँ लाडली, बताता हूँ लाडली
याद तेरी आये बहुत
3️⃣
इक तो नहीं है माँ तेरी बेटे भी अलग हैं
अब मेरी देखभाल में न कोई सजग हैं
रहने लगे हैं दूर मेरे अपने आज सब
मुझको समझ के बोझ हैं बदले मिज़ाज सब
कमरे में ख़ुद को तन्हा रुलाता हूँ लाडली बताता हूँ लाडली
याद तेरी आये बहुत
4️⃣
मुझ पर ग़रीबी और बुढ़ापा अज़ाब है
बेटों के बीच मेरा तो जीवन ख़राब है
अब वक़्त आ गया है कि मुँह सबसे मोड़ के
मैं जा रहा हूँ लाडली तुम सबको को छोड़ के
खुशहाल तू रहे ये मनाता हूँ लाडली, बताता हूँ लाडली याद तेरी आये बहुत
हर बात अपने दिल की बताता हूँ लाडली
सुनाता हूँ लाडली
याद तेरी आये बहुत
प्रीतम श्रावस्तवी
@सर्वाधिकार सुरक्षित