पिता का प्यार
पिता एक माँ की तरह प्यार नहीं जता पाता।
पर हर पल बच्चों के सपने पूरे करता रहता है।
पिता के आँखों से नहीं अपने दिल से रोता है।
बच्चों की खुशियों के लिए यूँ दौडा़ फिरता है।
भले ही खुद के फटे पुराने जूते,कपड़े लत्ते हों
पर बच्चों की सुंदर साफ स्कूल यूनिफॉर्म हो।
कभी-कभी भूखा-प्यास ही घर लौट आता है।
फटे थैले में हजार सपने बुनकर लेकर आता है।
सच पिता के कलेजे का कोई मापदंड नहीं है।
क्योंकि पिता का प्यार अनंत-असीम भरा है।