पिता एक सुखद एहसास..ईश्वर का प्रतिरूप है
पिता एक खूबसूरत सा
मज़बूत सा..प्यारा सा एहसास है
मन में न जाने कितने राज़ समेटे
जाने कितने अन्तर्रद्वन्द है पाले
फ़िर भी चेहरे पर शिकन नहीं
होंठों पर मन्द मुस्कान के साथ
पिता एक उम्मीद..आशा की किरण
बचपन में वो बन जाते हमारा खिलौना हैं
खुशियों की चाबी ये इंसान कितना सलोना है
जीवन की आंधियों में हौंसलों की दीवार है
बाहर से सख्त और अन्दर से नर्म
पिता एक सक्षम,विश्वशनीय सारथी है
जिम्मेदारियों का रथ बखूबी सम्भाले
ऊपर से लापरवाह प्रतीत होता
पर अन्दर से चिन्तित रहता
वो शख्स दिन रात बेचैन है
परिवार की खुशियों की खातिर
सपनों को पूरा करने में लगाता अपनी जान है
पिता भी माँ की तरह ही होता बहुत महान है
उसी से तो परिवार की शान और आन बान है
पिता एक सुखद एहसास..ईश्वर का ही रूप
वो खुद की परेशानियों को भूलकर
परिवार के लिए जीता एक प्यारा सा इंसान है
मानो या ना मानो..पिता भी होता ईश्वरीय वरदान है