पिता आपकी याद में…
पिता पर केन्द्रित तीन कुण्डलिया छंद
(1)
पिता आपकी याद में,गुज़रें दिन अरु रात।
किन्तु आपके बिनु मुझे,कुछ भी नहीं सुहात।।
कुछ भी नहीं सुहात,भोज का स्वाद न भाये।
सब स्वारथ के मीत,करूँ क्या समझ न आये।।
कह सतीश कविराय,टेक बस ईश-जाप की।
याद सताये खूब,निरंतर पिता आपकी।।
०००
(2)
मुझे याद है आज भी,पिता आपकी सीख।
भूखे रह लेना मगर,नहीं माँगना भीख।।
नहीं माँगना भीख,मान नित देना श्रम को।
करते रहना कर्म,भूलकर हर इक ग़म को।।
कह सतीश कविराय,बात यह निर्विवाद है।
पिता आपकी सीख,आज भी मुझे याद है।।
०००
(3)
भाई अपने में रमे,भूले रिश्तेदार।
किन्तु पितृ-आशीष से,सँग में है करतार।।
सँग में है करतार,प्यार माँ का है हासिल।
उर में है विश्वास,मिलेगी इक दिन मंज़िल।।
कह सतीश कविराय,बजेगी जब शहनाई।
प्रमुदित होंगे मीत,प्रफुल्लित होंगे भाई।।
सतीश तिवारी ‘सरस’,नरसिंहपुर (म.प्र.)