पिताजी
विषम आर्थिक परिस्थितियों मे
अपनी इच्छाओं को दरकिनार कर
मेरी हर छोटी बड़ी ख्वाहिश को
पूरा किया है पिताजी आपने ।
जिन्दगी के कठिन दौर मे
रात रात भर जाग कर
अपने मजबूत कंधों पर मुझे
सुलाया है पिताजी आपने ।
रूतबा रहे समाज मे मेरा
हैसियत नही थी फिर भी
बढ़े बढ़े स्कूल कोलिजों मे मुझे
पढ़ाया है पिताजी आपने ।
बार बार टूटे हैं पहाड़
जब जब निरन्तर कोशिशों के
रोती आंखों को फिर से
हंसाया है पिताजी आपने ।
नमन चरण वन्दना है आपको
खुदा से भी कहीं ज्यादा
मेरी अनगिनत गुस्ताखियों को
बार बार भुलाया है पिताजी आपने ।।
राज विग 11.06.2022
दिल्ली