पिज्जा का ऑर्डर ( लॉकडाउन-कहानी )
पिज्जा का ऑर्डर ( कहानी )
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लॉकडाउन शुरु हो चुका था। घर में पतिदेव को मुँह का स्वाद बेसुरा हुआ लग रहा था। पत्नी ने आवाज लगाई “क्यों जी! आज कौन सी दाल बनानी है?”
पतिदेव झल्ला गए। बोले “रोज-रोज की दाल मुझे पसंद नहीं है । कुछ चटपटी चीज बनाओ।”
पत्नी झुँझला जाती है । कहती है “इस समय कर्फ्यू चल रहा है और आपको चटपटा सूझ रहा है ? ”
पतिदेव मुस्कुराते हैं और कहते हैं “देखो अभी ऑर्डर देता हूँ। कुछ बढ़िया – सा आ जाएगा ।”
मोबाइल उठाते हैं और एक नंबर मिलाते हैं। फोन पर कहते हैं ” एक पिज़्ज़ा भिजवा दो ….हां हां ….मैं कॉलोनी से बोल रहा हूँ.. कितनी देर लगेगी ..ठीक है 10 मिनट में आप आ जाओ ..पेमेंट की कोई फिकर न करो ।”
दस मिनट के बाद घर के दरवाजे की घंटी बजती है और दो पुलिस वाले बाहर खड़े हैं । सज्जन दरवाजा खोलते हैं। पुलिस वाले पूछते हैं ” क्या आपने ही पिज्जा का आर्डर दस मिनट पहले दिया था ?”
सज्जन कहते हैं ” हाँ, मैंने ही दिया था। क्यों क्या आप लोग पिज्जा नहीं लाए ?”
पुलिस वाले कहते हैं “हम पिज्जा लाए हैं और उसके साथ आइसक्रीम भी लाए हैं । क्या आप दोनों खाना पसंद करेंगे? सुना है आपका मुँह का स्वाद खराब होने लगा है।”
वह सज्जन उतावले होकर कहते हैं “हाँ ! हां ! आइसक्रीम भी जरूर खाएंगे । इस समय खाने में मजा ही नहीं आ रहा ..और क्या-क्या भेजते हैं आप लोग ?”
सिपाही अब अपना डंडा हवा में घूमाते हैं और कहते हैं ” हम क्या-क्या भेजते हैं ? क्या हम आपको किसी मॉल की दुकान नजर आते हैं या किसी प्रदर्शनी में लगा हुआ स्टाल महसूस होते हैं ? घर में बैठकर आपसे दाल रोटी नहीं खाई जाती , जो हमें परेशान कर रहे हैं।”
सज्जन हड़बड़ा जाते हैं । कहते हैं “अरे! मैं तो मजाक कर रहा था । मुझे पिज्जा कुछ नहीं चाहिए । आप लोग चले जाइए ।मैं ठीक हूँ।”
पुलिस वाले अब कहते हैं “अब तो हम आपको ठीक करके ही जाएंगे। आपके सामने तीन विकल्प हैं । या तो चार डंडे खाएँ या फिर चार मीटर नाली की सफाई करें या फिर आइसोलेशन वार्ड में जाकर कोरोना के मरीजों की देखभाल करें।”
सज्जन काँप उठते हैं। हाथ जोड़ते हैं। कहते हैं” भाई साहब मैं तो मजाक कर रहा था ।मुझे माफ करो ।”
पुलिस वाले कहते हैं “अब माफी की गुंजाइश नहीं है । अपनी पसंद बताओ। जो आर्डर करोगे, वह सर्व कर दिया जाएगा।”
सज्जन काफी देर तक सिर खुजाते हैं। फिर कहते हैं “आइसोलेशन वार्ड में तो नहीं जाऊंगा । नाली की सफाई में भी बहुत बदबू आएगी । ठीक है चार बेंत मार दो।”
पुलिसवाला बेंत उठाता है और जोरदार तरीके से उन सज्जन की पीठ पर मार देता है ।वह चीखकर पूरे घर में शोर मचा देते हैं। हाय- हाय का भाव उनके चेहरे से टपक रहा है ।
“बहुत दर्द हो रहा है।”- वह कराहते हुए कहते हैं।
“बेंत मारने में तो अभी तीन और बाकी है।”- कहकर पुलिसवाला एक बेंत और मारता है ।बेंत पड़ते ही सज्जन जाकर सोफे पर लेट जाते हैं । कहते हैं “रुको रुको !मत मारो । मैं नाली की सफाई करने के लिए तैयार हूँ।”
पुलिसवाला कहता है “ठीक है ! जैसी आपकी मर्जी । आप को ही विकल्प पसंद करना था ।आप बेंत नहीं खाना चाहते तो नाली की सफाई कर दीजिए ।लीजिए ! फावड़ा हम साथ में लाए हैं ।”
सज्जन फावड़ा हाथ में लेकर नाली की सफाई करना शुरू करते हैं ।लेकिन दो मीटर सफाई करने के बाद ही उन्हें लगता है कि यह भी कोई अच्छा विकल्प नहीं है । अब वह पुलिस वालों से कहते हैं ” भाई साहब ! मैं बेंत खाने के लिए तैयार हूँ।आप मुझे बेंत मार दीजिए ।”
पुलिस वाले कहते हैं” हम तो जैसी आपकी पसंद हो ….जो आप ऑर्डर करेंगे वही सर्व कर दिया जाएगा । ठीक है ।आपको दो बेंत मारने हैं। हम सब कर देंगे।”
पुलिस वाले उनके दो बेंत जोरदार तरीके से मारते हैं और फिर कहते हैं “आपका ऑर्डर पूरा हो गया । अब और कुछ चाहिए?”
वह सज्जन उठक- बैठक लगाते हैं और स्वेच्छा से मुर्गा बन कर कहते हैं “नहीं साहब ! अब कभी मजाक नहीं करूंगा। शासन प्रशासन को जनता की सेवा करने के कार्य में व्यवधान नहीं डालूंगा ।”
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लेखक : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99 97 61 5451