*पिंजरे में कैद हो गया बबलू (बाल कथा )*
पिंजरे में कैद हो गया बबलू (बाल कथा )
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मेले से जिद करके बबलू एक तोता खरीद लाया था । छोटा – सा पिंजरा था और उसमें तोता थोड़ा – बहुत हिल-डुल रहा था । घर पर लाकर बबलू ने तोते को हरी मिर्च खिलाई । हरी मिर्च घर पर ही रखी थी। तोते ने प्रारंभ में तो मिर्च की तरफ ध्यान ही नहीं दिया लेकिन फिर बबलू के हाथ से एक मिर्च अपनी चोंच में पकड़ ली । यह देख कर बबलू की खुशी का ठिकाना न रहा । फिर तो घर पर खाने की जितनी भी चीजें थीं, बिस्कुट ,टॉफी ,काजू ,मठरी ,रोटी सभी कुछ लेकर बबलू तोते के पास जाने लगा । तोता इतना सामान कहाँ से खाता ! कुछ चोंच में पकड़ा ,कुछ खाया ,बाकी सब गिरा दिया। लेकिन बबलू को यह सब देख कर ही बहुत अच्छा लग रहा था । उसे तो यही बात आनंदित कर रही थी कि तोता असली में हमारे जैसे साँस लेता है, हिलता – डुलता है और अपनी चोंच को इधर-उधर करता रहता है । …और हाँ तोता खाता भी है ,यह बात भी बबलू को असर कर रही थी । तोता अब उसकी साँसों में बस गया था ।
रात को सोया तो जैसे ही नींद आई ,नींद में ही तोते के पास चला गया । सपना देखने लगा । वह तोते को हरी मिर्च खिला रहा है और तोता अपनी चोंच से हरी मिर्च को पकड़ रहा है । लेकिन यह क्या ! सपना देखते देखते बबलू ने देखा कि तोते ने हरी मिर्च को खाते-खाते उसकी उंगली भी पकड़ ली । अब तो बबलू सपने में चीखने लगा । उसने उँगली छुड़ाने की बहुत कोशिश की मगर तोते ने नहीं छोड़ी । तोता उसकी उँगली को अपने पिंजरे में खींचने लगा । धीरे- धीरे बबलू का पूरा हाथ पिंजरे के अंदर चला गया और फिर बबलू का शरीर पतला होते हुए धीरे-धीरे पूरा शरीर पिंजरे के अंदर आ गया । अब पिंजरे के अंदर बबलू भी कैद था और तोता भी कैद था।
बबलू को पिंजरे के अंदर घुटन महसूस होने लगी। उसने जोर से अपनी मम्मी को आवाज लगाई “मम्मी ! मुझे पिंजरे से निकालो । मेरा दम घुट रहा है । मैं आजाद होना चाहता हूँ।”
बबलू की आवाज उसकी मम्मी ने नहीं सुनी तथा वह नहीं आईं। इस पर बबलू और भी परेशान होने लगा । उसने अपने हाथ पैरों को पटकना शुरू किया । उसे साँस लेने में मुश्किल आ रही थी । वह पिंजरे से बाहर निकल कर अपने कमरे में जाना चाहता था तथा पूरे घर में और घर के बाहर कॉलोनी में भी बच्चों के साथ खेलना चाहता था । उसने जोर से फिर मम्मी को आवाज लगाई “मुझे पिंजरे में क्यों कैद कर रखा है ? मुझे जल्दी से आजाद कराओ । मैं बच्चों के साथ खेलूँगा ।”
इस बार बबलू ने देखा कि वह अपने हाथ – पैरों को छटपटा रहा है । उसकी आँख खुल गई और वह समझ गया कि मैं एक डरावना सपना देख रहा हूँ। दिन निकलने ही वाला था । बबलू दौड़कर पिंजरे के पास गया उसने फौरन पिंजरे का दरवाजा खोलाऔर तोते को बाहर निकाल कर उससे कहा “उड़ जा तोते ! तू भी तो घुटन महसूस कर रहा होगा ।”
तोता बबलू को कृतज्ञता के भाव से देखता हुआ आसमान में उड़ गया। बबलू को लगा कि यह तोता नहीं बल्कि वह खुद किसी भयानक कैद से आजाद हुआ है।
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लेखक : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451