Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
13 Oct 2021 · 3 min read

पिंजरे में कैद हो गया बबलू (बाल कहानी)

पिंजरे में कैद हो गया बबलू (बाल कथा )
■■■■■■■■■■■■
मेले से जिद करके बबलू एक तोता खरीद लाया था । छोटा – सा पिंजरा था और उसमें तोता थोड़ा – बहुत हिल-डुल रहा था । घर पर लाकर बबलू ने तोते को हरी मिर्च खिलाई । हरी मिर्च घर पर ही रखी थी। तोते ने प्रारंभ में तो मिर्च की तरफ ध्यान ही नहीं दिया लेकिन फिर बबलू के हाथ से एक मिर्च अपनी चोंच में पकड़ ली । यह देख कर बबलू की खुशी का ठिकाना न रहा । फिर तो घर पर खाने की जितनी भी चीजें थीं, बिस्कुट ,टॉफी ,काजू ,मठरी ,रोटी सभी कुछ लेकर बबलू तोते के पास जाने लगा । तोता इतना सामान कहाँ से खाता ! कुछ चोंच में पकड़ा ,कुछ खाया ,बाकी सब गिरा दिया। लेकिन बबलू को यह सब देख कर ही बहुत अच्छा लग रहा था । उसे तो यही बात आनंदित कर रही थी कि तोता असली में हमारे जैसे साँस लेता है, हिलता – डुलता है और अपनी चोंच को इधर-उधर करता रहता है । …और हाँ तोता खाता भी है ,यह बात भी बबलू को असर कर रही थी । तोता अब उसकी साँसों में बस गया था ।
रात को सोया तो जैसे ही नींद आई ,नींद में ही तोते के पास चला गया । सपना देखने लगा । वह तोते को हरी मिर्च खिला रहा है और तोता अपनी चोंच से हरी मिर्च को पकड़ रहा है । लेकिन यह क्या ! सपना देखते देखते बबलू ने देखा कि तोते ने हरी मिर्च को खाते-खाते उसकी उंगली भी पकड़ ली । अब तो बबलू सपने में चीखने लगा । उसने उँगली छुड़ाने की बहुत कोशिश की मगर तोते ने नहीं छोड़ी । तोता उसकी उँगली को अपने पिंजरे में खींचने लगा । धीरे- धीरे बबलू का पूरा हाथ पिंजरे के अंदर चला गया और फिर बबलू का शरीर पतला होते हुए धीरे-धीरे पूरा शरीर पिंजरे के अंदर आ गया । अब पिंजरे के अंदर बबलू भी कैद था और तोता भी कैद था।
बबलू को पिंजरे के अंदर घुटन महसूस होने लगी। उसने जोर से अपनी मम्मी को आवाज लगाई “मम्मी ! मुझे पिंजरे से निकालो । मेरा दम घुट रहा है । मैं आजाद होना चाहता हूँ।”
बबलू की आवाज उसकी मम्मी ने नहीं सुनी तथा वह नहीं आईं। इस पर बबलू और भी परेशान होने लगा । उसने अपने हाथ पैरों को पटकना शुरू किया । उसे साँस लेने में मुश्किल आ रही थी । वह पिंजरे से बाहर निकल कर अपने कमरे में जाना चाहता था तथा पूरे घर में और घर के बाहर कॉलोनी में भी बच्चों के साथ खेलना चाहता था । उसने जोर से फिर मम्मी को आवाज लगाई “मुझे पिंजरे में क्यों कैद कर रखा है ? मुझे जल्दी से आजाद कराओ । मैं बच्चों के साथ खेलूँगा ।”
इस बार बबलू ने देखा कि वह अपने हाथ – पैरों को छटपटा रहा है । उसकी आँख खुल गई और वह समझ गया कि मैं एक डरावना सपना देख रहा हूँ। दिन निकलने ही वाला था । बबलू दौड़कर पिंजरे के पास गया उसने फौरन पिंजरे का दरवाजा खोलाऔर तोते को बाहर निकाल कर उससे कहा “उड़ जा तोते ! तू भी तो घुटन महसूस कर रहा होगा ।”
तोता बबलू को कृतज्ञता के भाव से देखता हुआ आसमान में उड़ गया। बबलू को लगा कि यह तोता नहीं बल्कि वह खुद किसी भयानक कैद से आजाद हुआ है।
■■■■■■■■■■■■■■■■■
लेखक : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451

1 Like · 567 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Ravi Prakash
View all
You may also like:
मुंहतोड़ जवाब मिलेगा
मुंहतोड़ जवाब मिलेगा
Dr. Pradeep Kumar Sharma
हमसफ़र
हमसफ़र
अखिलेश 'अखिल'
काव्य में सत्य, शिव और सौंदर्य
काव्य में सत्य, शिव और सौंदर्य
कवि रमेशराज
जवाब दो हम सवाल देंगे।
जवाब दो हम सवाल देंगे।
सत्य कुमार प्रेमी
दिवस नहीं मनाये जाते हैं...!!!
दिवस नहीं मनाये जाते हैं...!!!
Kanchan Khanna
चाय सिर्फ चीनी और चायपत्ती का मेल नहीं
चाय सिर्फ चीनी और चायपत्ती का मेल नहीं
Charu Mitra
सोहनी-महिवाल
सोहनी-महिवाल
Shekhar Chandra Mitra
*सभी ने सत्य यह माना, सभी को एक दिन जाना ((हिंदी गजल/ गीतिका
*सभी ने सत्य यह माना, सभी को एक दिन जाना ((हिंदी गजल/ गीतिका
Ravi Prakash
उसकी सुनाई हर कविता
उसकी सुनाई हर कविता
हिमांशु Kulshrestha
आग हूं... आग ही रहने दो।
आग हूं... आग ही रहने दो।
Anil "Aadarsh"
फिर पर्दा क्यूँ है?
फिर पर्दा क्यूँ है?
Pratibha Pandey
हमेशा अच्छे लोगों के संगत में रहा करो क्योंकि सुनार का कचरा
हमेशा अच्छे लोगों के संगत में रहा करो क्योंकि सुनार का कचरा
Ranjeet kumar patre
भाग्य पर अपने
भाग्य पर अपने
Dr fauzia Naseem shad
टाईम पास .....लघुकथा
टाईम पास .....लघुकथा
sushil sarna
हे दिनकर - दीपक नीलपदम्
हे दिनकर - दीपक नीलपदम्
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
भारत का सिपाही
भारत का सिपाही
आनन्द मिश्र
"लोभ"
Dr. Kishan tandon kranti
2246.🌹इंसान हूँ इंसानियत की बात करता हूँ 🌹
2246.🌹इंसान हूँ इंसानियत की बात करता हूँ 🌹
Dr.Khedu Bharti
सियासत में आकर।
सियासत में आकर।
Taj Mohammad
नफरतों के शहर में प्रीत लुटाते रहना।
नफरतों के शहर में प्रीत लुटाते रहना।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
जब दिल से दिल ही मिला नहीं,
जब दिल से दिल ही मिला नहीं,
manjula chauhan
बेटियाँ
बेटियाँ
Mamta Rani
बहुत प्यार करती है वो सबसे
बहुत प्यार करती है वो सबसे
Surinder blackpen
दो अपरिचित आत्माओं का मिलन
दो अपरिचित आत्माओं का मिलन
Shweta Soni
तुम्हारी याद है और उम्र भर की शाम बाकी है,
तुम्हारी याद है और उम्र भर की शाम बाकी है,
Ankur Rawat
"चुनावी साल"
*Author प्रणय प्रभात*
आक्रोष
आक्रोष
Aman Sinha
*मकर संक्रांति पर्व
*मकर संक्रांति पर्व"*
Shashi kala vyas
💐प्रेम कौतुक-212💐
💐प्रेम कौतुक-212💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
चालें बहुत शतरंज की
चालें बहुत शतरंज की
surenderpal vaidya
Loading...