पास से वो गुज़र गए
पास से वो गुज़र गए
देखकर हम बिखर गए
हम रोते रह गए राह में
वो हँसते हँसते घर गए।
इस बात से गमगीन हुए
छोड़कर वो किधर गए।
हम चीखते रहे मगर वो
पहचानने से मुकर गए।
देख मेरा हाल इश्क़ में
सारे आशिक़ सुधर गए।
मिस्मार होना पक्का है
राह-ए-इश्क़ अगर गए
-जॉनी अहमद ‘क़ैस’