पावस की ऐसी रैन सखी
पावस की ऐसी रैन सखी।
डसती बूँदों की बैन सखी।
तन-मन बेसुध उर व्याकुल है-
चातक चित चाहे चैन सखी।
-लक्ष्मी सिंह
नई दिल्ली
पावस की ऐसी रैन सखी।
डसती बूँदों की बैन सखी।
तन-मन बेसुध उर व्याकुल है-
चातक चित चाहे चैन सखी।
-लक्ष्मी सिंह
नई दिल्ली