*”पावस ऋतु”*
“पावस ऋतु”
उमड़ घुमड़ गरजे मेघ ,
घनघोर घटा छाये।
आसमान में लालिमा ,
मन हर्षित हो जाए।
******************
झूला डालो री सखी ,
सावन राजा आए।
प्यारे गीत गाओ री ,
याद पिया की आए।
*******************
मेघ गरजते वन में,
नाचते हुए मोर।
ताल तलैया भर गये,
मेढ़क करते शोर।।
*******************
अब तो करो उपकार,
धरती कहे पुकार।
त्राहि त्राहि चहुँ ओर,
तुम ही पालनहार।।
******************
बादलों में चित्र उभरते,
सघन दिखने लगे।
चमकते हुए बिजुरी ,
मेघ गरजने लगे।।
*****************
शशिकला व्यास शिल्पी✍️