पावन पर्व मकर संक्रान्ति
*** पावन पर्व मकर संक्रांति ***
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पावन पर्व मकर संक्रांति आया,
नूतन वर्ष मनोहर चला आया।
तिल खिचड़ी का दान करो तुम,
दान पुण्य से भला होता आया।
गुड़ तिल मिलकर भोग लगाओ
नया साल हर्षित होकर मनाया।
बसंतर मनोरम दर पर विराजा,
हृदय में है अपार स्नेह समाया।
गगनचुंबी पतंग फर-फर फरार्या,
फूली सरसों से है खेत लहराया।
मनसीरत गंगा जल में डूबकी,
नभ में नवरंग सुनहरा सा छाया।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)