पालक
पालक
नदी के घाट पे
एक भीड़ भरे हाट में
साग बेचता एक बालक
पूछा मैंने,”है पालक?”
बोला वो बड़े विराग से
शब्दों में कुछ गूढ़ राग से
पालित हूँ, यही मेरा सुभाग।
“पालक”होता तो बेचता नहीं साग।
-©नवल किशोर सिंह
पालक
नदी के घाट पे
एक भीड़ भरे हाट में
साग बेचता एक बालक
पूछा मैंने,”है पालक?”
बोला वो बड़े विराग से
शब्दों में कुछ गूढ़ राग से
पालित हूँ, यही मेरा सुभाग।
“पालक”होता तो बेचता नहीं साग।
-©नवल किशोर सिंह