पार्वती
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पर्वत पुत्री पार्वती, रौद्रमुखी,प्रत्यक्ष।
पराशक्ति,परमेश्वरी,पिता प्रजापति दक्ष।।१
कमलदलामल कांतिमय,कलाकलितमल भाल।
कैशोरी,कत्यायनी,क्रूरा,क्रिया,कराल।।२
चिति,चित्रा,चिंता,चिता,चले हंस सी चाल।
भूतकलानिधि,भगवती, लिए हाथ में भाल।।३
सत्या,शंकरतोषिणी,शैलसुता सुकुमार।
शिखरिशिरोमणि साध्या,शरणागत संसार।।४
पाटला,पाटलावती,पट्टांबर परिधान।
हे गिरजा गिरिनंदिनी, तुम हो बड़ी महान।।५
शक्ति,शिवा,सुरसुन्दरी, सर्ववाहना मात।
सती,शिवानी,शाकम्भरी,भजूँ तुझे दिन रात।।६
भूरि,भवानी,भाविनी,भव्या सुनो पुकार।
भवप्रीता भवमोचनी,भवसागर से तार।।७
भद्रकाली भुवनेश्वरी, भर दो भक्ति भाव।
जगदंबा जगतारिणी, पार करा दो नाव।।८
आद्य,अपर्णा,अंबिका,अंबा देवी जाग।
गौरी,गिरजा,गामिनी,रखना अमर सुहाग।।९
-लक्ष्मी सिंह
नई दिल्ली