Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
15 Feb 2024 · 1 min read

*पारस-मणि की चाह नहीं प्रभु, तुमको कैसे पाऊॅं (गीत)*

पारस-मणि की चाह नहीं प्रभु, तुमको कैसे पाऊॅं (गीत)
________________________
पारस-मणि की चाह नहीं प्रभु, तुमको कैसे पाऊॅं
1)
क्या रक्खा है भौतिक जग में, बार-बार भरमाता
जितना भोगों को पा जाओ, उतनी प्यास बढ़ाता
तृप्ति मिलेगी तब ही तुमको, जब भीतर पा जाऊॅं
2)
क्या होगा यदि अष्ट सिद्धियॉं, नव निधियॉं आ जाऍं
दुनिया के संसाधन घर में, डेरा सहज जमाऍं
दुविधा होगी चित्रगुप्त को, क्या उपलब्धि बताऊॅं
3)
पुनर्जन्म की दौड़-भाग में, जन्म हजारों बीते
बिना तुम्हें पाए जीवन के, रहे अर्थ पर रीते
चाह रहा इस बार तुम्हें पा, जीवन नहीं गॅंवाऊॅं
पारस-मणि की चाह नहीं प्रभु, तुमको कैसे पाऊॅं
————————————–
रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451

205 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Ravi Prakash
View all
You may also like:
*राम स्वयं राष्ट्र हैं*
*राम स्वयं राष्ट्र हैं*
Sanjay ' शून्य'
* मुक्तक *
* मुक्तक *
surenderpal vaidya
भावो को पिरोता हु
भावो को पिरोता हु
भरत कुमार सोलंकी
न मौत आती है ,न घुटता है दम
न मौत आती है ,न घुटता है दम
Shweta Soni
छिपे दुश्मन
छिपे दुश्मन
Dr. Rajeev Jain
उल्लू नहीं है पब्लिक जो तुम उल्लू बनाते हो, बोल-बोल कर अपना खिल्ली उड़ाते हो।
उल्लू नहीं है पब्लिक जो तुम उल्लू बनाते हो, बोल-बोल कर अपना खिल्ली उड़ाते हो।
Anand Kumar
संसद में लो शोर का,
संसद में लो शोर का,
sushil sarna
ಅದು ಯಶಸ್ಸು
ಅದು ಯಶಸ್ಸು
Otteri Selvakumar
मतलबी ज़माना है.
मतलबी ज़माना है.
शेखर सिंह
महिला दिवस कुछ व्यंग्य-कुछ बिंब
महिला दिवस कुछ व्यंग्य-कुछ बिंब
Suryakant Dwivedi
ग़ज़ल(नाम जब से तुम्हारा बरण कर लिया)
ग़ज़ल(नाम जब से तुम्हारा बरण कर लिया)
डॉक्टर रागिनी
जस्टिस फ़ॉर बलूचिस्तान
जस्टिस फ़ॉर बलूचिस्तान
*प्रणय*
माया और ब़ंम्ह
माया और ब़ंम्ह
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
*गाथा बिहार की*
*गाथा बिहार की*
Mukta Rashmi
भगवान
भगवान
Adha Deshwal
बात
बात
Ajay Mishra
पर्यावरण सम्बन्धी स्लोगन
पर्यावरण सम्बन्धी स्लोगन
Kumud Srivastava
दोस्तों
दोस्तों
Sunil Maheshwari
जो सिर्फ़ दिल की सुनते हैं
जो सिर्फ़ दिल की सुनते हैं
Sonam Puneet Dubey
हम हिम्मत हार कर कैसे बैठ सकते हैं?
हम हिम्मत हार कर कैसे बैठ सकते हैं?
Ajit Kumar "Karn"
4853.*पूर्णिका*
4853.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
नौकरी
नौकरी
Rajendra Kushwaha
पढ़े साहित्य, रचें साहित्य
पढ़े साहित्य, रचें साहित्य
संजय कुमार संजू
"नोटा"
Dr. Kishan tandon kranti
लोग भय से मुक्त हों  ज्ञान गंगा युक्त हों अग्रसर होतें रहें
लोग भय से मुक्त हों ज्ञान गंगा युक्त हों अग्रसर होतें रहें
DrLakshman Jha Parimal
प्रदूषण
प्रदूषण
Pushpa Tiwari
*कुत्ते चढ़ते गोद में, मानो प्रिय का साथ (कुंडलिया)*
*कुत्ते चढ़ते गोद में, मानो प्रिय का साथ (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
*मनः संवाद----*
*मनः संवाद----*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
जाने कितनी बार गढ़ी मूर्ति तेरी
जाने कितनी बार गढ़ी मूर्ति तेरी
Saraswati Bajpai
मुझ जैसा रावण बनना भी संभव कहां ?
मुझ जैसा रावण बनना भी संभव कहां ?
Mamta Singh Devaa
Loading...