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12 Dec 2017 · 1 min read

**** पारदर्शी वस्त्र ****

12.12.17 **** प्रातः ***** 9.51

तेरे इस पारदर्शी वस्त्र की भांति तेरा दिल होता

फिर महफ़िल में ये हमसे खूबसूरत गुनाह होता

ना होता बेपनाह आशिक होता पाकसाफ़-दिल

रख दिल पाकसाफ़ ना ये होता आशिकबेपनाह

ना होता इश्क-दस्तूर बदस्तूर ये दिल जवां होता ।।

?मधुप बैरागी

11.12.17 *** रात्रि *** 11 बजे

वो दस्तक देकर दिल पर चली गयी

कर दिल- दरवाजा खुला चली गयी

अब कौन आता है इस दर-ए-दिल मे

बर्बाद कर आहट उनकी चली गयी ।।

?मधुप बैरागी

Language: Hindi
1 Like · 620 Views
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