*पाया दुर्लभ जन्म यह, मानव-तन वरदान【कुंडलिया】*
पाया दुर्लभ जन्म यह, मानव-तन वरदान【कुंडलिया】
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पाया दुर्लभ जन्म यह ,मानव-तन वरदान
कर्म करें अच्छे सभी ,काटें पाप-विधान
काटें पाप-विधान ,मुक्त बंधन हो जाएँ
जन्म-मरण का चक्र ,तोड़कर बाहर आएँ
कहते रवि कविराय ,मूर्ख ने व्यर्थ गँवाया
भटका बारंबार ,मनुज तन दुर्लभ पाया
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976 15451