पायल
एक एक दाने घुँघरू के,
जुड़कर बन जाती है पायल।
कुछ कहते हैं छम-2 इसकी,
कर देती है मुझको घायल।
हमें आगमन की सुधि देती,
पाँव की सुन्दर प्यारी पायल।
बजती मन कुसुम खिल जाते,
हिया तृप्त कर देती पायल।
अपनी लय से मन में मेरे,
दिल का भाव जताती पायल।
छम छम छमाछम छम की,
ध्वनि खुशी बताती पायल।
संग संग मिलकर जुड़ने का,
मधुर भाव दिखाती पायल।
और टूटती जब कोई पत्ती,
पाँव से व्यर्थ हो जाती पायल।
और टूट गिरती जब पाँव से,
कीमत सब्र न खोती पायल।
प्यार से थोड़ी गर्मी में तपकर,
अपना अस्तित्व बनाती पायल।
धूल जमाने की जम जाती,
थोड़ी धुंधली होती पायल।
जब योग्य हस्त लग जाती,
चमक पुनः दुहराती पायल।
प्रेम की छोटी पत्ती से ही,
तुम भी जुड़ना,कहती पायल।
ऐसे सरस बने रहना तुम ,
जैसे मैं हूँ पाँव की पायल।
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अशोक शर्मा,कुशीनगर,उ.प्र.
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