पायल
पायल हुई सयानी
माता की आँखों में पानी
अंग-रंग में निखार
कोई साज न सिंगार
अबकी बछिया बेचकर
कुछ रुपये सहेजकर
ला देते
एक जोड़ी पायल
छनक छनक
चलती छमछम
वीराने में लिए एक सरगम
बुन लेती
मैं भी कुछ कड़ियाँ
यादों की फुलझड़ियाँ
चुन लेती
कोई एक झनक
पायल की लड़ियों से
उस पायल-सी
जो,गुम हो गई
बेबसी की घड़ियों में
-©नवल किशोर सिंह