पायल की आवाज , आत्म स्वीकृति
मैं जानता हूँ आपमें से बहुत से लोग आश्चर्य करेंगे एक अर्से के बाद मैंने पायल की आवाज़ सुनी । इतनी मीठी और रूमानी आवाज मानो मुझे चेतना के कोई और स्तर पर लेगयी । मै और मेरी पत्नी आज शिव मन्दिर गये थे । मैं भगवान के ज्यादा पीछे पड़ कर उन्हें बोर नहीं करता। मैं शीघ्र दर्शन करके दूसरों के लिए जगह छोड़ देता हूँ । अधिकांश अवसरों पर जैसा होता है मैं जल्दी दर्शन करके बाहर आ गया और गेट पर एक ओर खड़ा होकर श्रीमती की प्रतीक्षा करने लगा । अचानक वहाँ एक सुदर्शन नवयुगल आया। युवक दो कदम आगे चला गया । नव वधू उसके बराबर पहुँचने को तेजी से मन्दिर की देहरी लांघती मेरे पास से निकली तो उसकी पायलों के घुंघरू बज उठे । पायल की छम छम की मधुर ध्वनि ने कानों में ही नहीं मेरी आत्मा में मिठास घोल दी । बाद में मैंने श्रीमती से पूछा, “तुम घुंघरू वाली पायल क्यों नहीं पहनती अब । वो मुस्करा के बात को टाल गयीं । गनीमत है उसे इस प्रश्न के पीछे का कारण नहीं पता था वर्ना मेरी अच्छी खबर लेती।