पाप का संहार करने राम रावण रण हुआ था।
२१२२ २१२२ २१२२ २१२२
पाप का संहार करने राम रावण रण हुआ था।
वक्त ऐसा कब रहा है जब न तिलभर छल हुआ था।।
*****************************
छद्मवेशी छल रहे हैं संत का चोला पहनकर।
और सज्जन जी रहे हैं पापियों के जुल्म सहकर।।
आदि से अब तक हुआ है हो रहा जो कल हुआ था।
वक्त ऐसा कब रहा है जब न तिलभर छल हुआ था।
*****”**********************
पाप जब हद से बढा तो जन्म द्वापर में लिया था।
कृष्ण बनकर इस धरा का पाप तुमने हर लिया था।।
द्रौपदी जब रो रही थी चीर को उसके छुआ था।
*****************************
जब पड़ी थी इक जरुरत देव दानव युद्ध में,
बन दधीची हड्डियों से शस्त्र को तुमने बनाया।
पी गये थे तुम गरल को सृष्टि के संचार खातिर
और भागीरथ बने तुम मार्ग गंगा को दिखाया।
जब असुर दल शक्ति का प्रयोग छल से कर रहे थे।
मोहिनी का रूप मोहक रास तुमने रच लिया था।
******************************