Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
23 Jul 2023 · 3 min read

#पापी

🙏~ जगजगती की ~

🔥 #पापी 🔥

● जाने अनजाने में किए गए अपराध का दंड सत्ता द्वारा निर्धारित दंडसंहिता के अनुसार अपराधी को भुगतना पड़ता है। कुछ तिकड़मी लोग इससे बच भी निकलते हैं। लेकिन, जाने अथवा अनजाने में किए गए पापकर्मों का फल निश्चित रूप से भुगतना ही पड़ेगा। क्योंकि वहाँ लेखाजोखा रखने की प्रक्रिया स्वचालित है। इधर आपसे धर्म का हाथ छूटा उधर लिखा गया. . .यहाँ-वहाँ घरों में अस्पतालों में पापकर्मों का फल भोगते लोग आपको दिख जाएंगे जो केवल इसलिए जीवित कहलाते हैं कि तन में प्राण कहीं अटके पड़े हैं अथवा वैद्य डॉक्टर ने अभी उन्हें मृत घोषित नहीं किया। ●

बंधुवर, प्यारी वसुधा के कुटुंबीजन केवल दो पाँवों से चलने वाले हम मनुष्य ही नहीं हैं। मानवसमाज के बीच विचरने वाले चौपाए सरीसृप वनचर नभचर व जलचर प्राणी भी इस विशाल कुटुंब के सदस्य हैं। तभी तो मत्स्यावतार कच्छपावतार वराहावतार व गरुड़भगवानरूपी अंशावतार हुए।

और, इन सब जीवों अथवा माँ वसुधा की संतानों की सुरक्षा का दायित्व भगवान अथवा प्रकृति ने मनुष्यों को सौंप रखा है।

क्या हम अपने दायित्व का निर्वहन भलीभांति कर रहे हैं? आज इसी प्रश्न का उत्तर खोजते हैं।

समुद्र में नित्यप्रति बढ़ता जा रहा अगलनशील कचरा प्राणवायु को अवरुद्ध करता है। जिसके दुष्परिणामस्वरूप जलचर जीवों का जीवन संकट में है। इस कचरे में सर्वाधिक मात्रा प्लास्टिक की उस तीली की है जिसके दोनों छोर पर रुई लिपटी रहती है। अज्ञानतावश हम इससे अपने कानों की मैल हटाया करते हैं।

कानों की मैल गाढ़े पीले रंग की एक प्रकार की मोम है जो हमारे कानों के भीतर से ही स्रावित हुआ करती है। यह एक प्राकृतिक क्रिया है। यह मैल अथवा मोम हमारे कानों के पर्दे और कर्णनलिका की रक्षाकवच है। परंतु, यदि इसकी मात्रा अधिक हो जाए अथवा यह मोम कड़ा हो जाए तो कानों को अपूर्णीय क्षति होना भी संभव है। इसलिए कानों की सफाई होते रहनी चाहिए।

साधारणतया कानों की मैल अपने आप ही बाहर निकलती रहती है। लेकिन, यदि आपको ऐसा लगे कि कानों में मैल की मात्रा अधिक हो गई है तब मुंह बंद करके अंगूठे व तर्जनी अंगुली से दोनों नासिकाछिद्र को दबाकर भीतरी वायु को कानों के द्वार से बाहर की ओर धकेलें। ऐसा दो-तीन बार करें। बस।

यदि कानों की मैल में कड़ापन आ गया है तब सरसों का तेल किंचित गुनगुना करके एक कान में दो-तीन बूंद डालें। कुछ पल तक उसी करवट लेटे रहें। तदुपरांत उस कान को नीचे की ओर कर दें। तेल बाहर निकल जाएगा। तब रुई अथवा सूती वस्त्र से तेल पोंछ दें।

अब यही प्रक्रिया दूसरे कान में भी दुहराएं।

कान के भीतर किसी भी प्रकार की तीली आदि मत डालें। कानों का भीतरी भाग अति संवेदनशील है। किंचितमात्र असावधानी से हानि हो सकती है।

यदि कानों के भीतर बारबार खुजली हो रही हो तब भी गुनगुने तेल की कुछ बूंदें आपका कष्ट हरने को पर्याप्त हैं। इससे भी सुख न मिले तो तुरंत डॉक्टर अथवा वैद्य जी की शरण लें।

किंतु, कैसी भी सरल विरल विकल स्थिति हो कानों में प्लास्टिक की वो तीली मत फिराएं जिसके दोनों छोर पर रुई लिपटी रहती है। समुद्र में निरंतर बढ़ते जा रहे अगलनशील कचरे में जिसकी बहुलता है। क्योंकि ऐसा करने से आप अपने कुटुंबीजनों की हत्या के दोषी होंगे। और यह अक्षम्य अपराध ही नहीं वरन् पाप है।

#वेदप्रकाश लाम्बा
यमुनानगर (हरियाणा)
९४६६०-१७३१२

Language: Hindi
98 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
जाग री सखि
जाग री सखि
Arti Bhadauria
*जीवन्त*
*जीवन्त*
DR ARUN KUMAR SHASTRI
Sometimes we feel like a colourless wall,
Sometimes we feel like a colourless wall,
Sakshi Tripathi
मै स्त्री कभी हारी नही
मै स्त्री कभी हारी नही
dr rajmati Surana
तड़के जब आँखें खुलीं, उपजा एक विचार।
तड़के जब आँखें खुलीं, उपजा एक विचार।
डॉ.सीमा अग्रवाल
💃युवती💃
💃युवती💃
सुरेश अजगल्ले 'इन्द्र '
🙏🙏
🙏🙏
Neelam Sharma
खुशी तो आज भी गांव के पुराने घरों में ही मिलती है 🏡
खुशी तो आज भी गांव के पुराने घरों में ही मिलती है 🏡
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
मन में मदिरा पाप की,
मन में मदिरा पाप की,
sushil sarna
"वक्त निकल गया"
ठाकुर प्रतापसिंह "राणाजी"
निरन्तरता ही जीवन है चलते रहिए
निरन्तरता ही जीवन है चलते रहिए
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
संवेदना प्रकृति का आधार
संवेदना प्रकृति का आधार
Ritu Asooja
" सुनिए "
Dr. Kishan tandon kranti
बेवफा
बेवफा
Neeraj Agarwal
हौसले से जग जीतता रहा
हौसले से जग जीतता रहा
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
कविता(प्रेम,जीवन, मृत्यु)
कविता(प्रेम,जीवन, मृत्यु)
Shiva Awasthi
ग़ज़ल
ग़ज़ल
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
शराब
शराब
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
ज़िंदगानी
ज़िंदगानी
Shyam Sundar Subramanian
इल्म
इल्म
Bodhisatva kastooriya
शिमला, मनाली, न नैनीताल देता है
शिमला, मनाली, न नैनीताल देता है
Anil Mishra Prahari
" प्यार के रंग" (मुक्तक छंद काव्य)
Pushpraj Anant
एक दिन सूखे पत्तों की मानिंद
एक दिन सूखे पत्तों की मानिंद
पूर्वार्थ
सुनो पहाड़ की...!!! (भाग - ९)
सुनो पहाड़ की...!!! (भाग - ९)
Kanchan Khanna
2985.*पूर्णिका*
2985.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
😢नारकीय जीवन😢
😢नारकीय जीवन😢
*प्रणय प्रभात*
*राम अर्थ है भवसागर से, तरने वाले नाम का (मुक्तक)*
*राम अर्थ है भवसागर से, तरने वाले नाम का (मुक्तक)*
Ravi Prakash
प्रेम निवेश है ❤️
प्रेम निवेश है ❤️
Rohit yadav
Pyasa ke dohe (vishwas)
Pyasa ke dohe (vishwas)
Vijay kumar Pandey
चुप रहना भी तो एक हल है।
चुप रहना भी तो एक हल है।
संजीव शुक्ल 'सचिन'
Loading...