पापियों का संसार
मानव वहसी बन गया, कुत्ते रहे वफादार
कालिख मन मे छुपा रखी, मुखड़े है ईमानदार
सुनी सड़के,जंगल, झाड़ियाँ, नाले
हो गये है भौचक्के,शर्मशार
देख करतुत मानव की
करते प्रकृति से यही दरकार
काश प्रलय आ जाए धरा पर
विनाश करो पापियों का ये संसार
रेखा कापसे
होशंगाबाद (मप्र)