Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
19 May 2024 · 1 min read

पापा

पापा
दो रोटी कमाने के लिए वो ख़ुद भूखा रह जाता है
अपने बच्चे को दिला के गाड़ी ख़ुद पैदल काम पे जाता है
एक नया कपड़ा ख़रीदने के लिए वो सालों तक रुक जाता है
करनी हो अगर बेटी की शादी तो ख़ुद कर्ज़े में आ जाता है
बेटे को अफ़सर बनाने में वो ख़ुद की नींद उड़ाता है
माँ का सजना सवरना भी तो पापा से आता है
अपना परिवार बनाने में एक बाप ना जाने कितने झोखिम उठाता है

1 Like · 58 Views
Books from Ayushi Verma
View all

You may also like these posts

पलकों से रुसवा हुए,
पलकों से रुसवा हुए,
sushil sarna
सरस्वती वंदना
सरस्वती वंदना
Kumud Srivastava
पुरुष
पुरुष
लक्ष्मी सिंह
हिंदी की भविष्यत्काल की मुख्य क्रिया में हमेशा ऊँगा /ऊँगी (य
हिंदी की भविष्यत्काल की मुख्य क्रिया में हमेशा ऊँगा /ऊँगी (य
कुमार अविनाश 'केसर'
रखें बड़े घर में सदा, मधुर सरल व्यवहार।
रखें बड़े घर में सदा, मधुर सरल व्यवहार।
आर.एस. 'प्रीतम'
आपको दिल से हम दुआ देंगे।
आपको दिल से हम दुआ देंगे।
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
जिन्दगी की किताब
जिन्दगी की किताब
Ashwini sharma
अच्छे बच्चे
अच्छे बच्चे
Dr. Pradeep Kumar Sharma
"उम्मीद "
Dr. Kishan tandon kranti
..
..
*प्रणय*
"" *महात्मा गाँधी* ""
सुनीलानंद महंत
जीनो दो मुझे अपने वसूलों पर
जीनो दो मुझे अपने वसूलों पर
goutam shaw
मौत
मौत
Harminder Kaur
अंजुली भर नेह
अंजुली भर नेह
Seema gupta,Alwar
कि घमंड ना करना जिंदगी में
कि घमंड ना करना जिंदगी में
Vishal Prajapati
जलियांवाला बाग
जलियांवाला बाग
श्याम लाल धानिया
*खुद को चलना है अकेले*
*खुद को चलना है अकेले*
Krishna Manshi
*बीमारी जो आई है, यह थोड़े दिन की बातें हैं (हिंदी गजल)*
*बीमारी जो आई है, यह थोड़े दिन की बातें हैं (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
बदल दो हालात तुम
बदल दो हालात तुम
Jyoti Roshni
नाटक नौटंकी
नाटक नौटंकी
surenderpal vaidya
द्वार मैं तेरे आऊं
द्वार मैं तेरे आऊं
इंजी. संजय श्रीवास्तव
"सुप्रभात"
Yogendra Chaturwedi
इससे तो
इससे तो
Dr fauzia Naseem shad
पुलिस की चाल
पुलिस की चाल
नेताम आर सी
प्यार के
प्यार के
हिमांशु Kulshrestha
कभी जलाए गए और कभी खुद हीं जले
कभी जलाए गए और कभी खुद हीं जले
Shweta Soni
ग़ज़ल
ग़ज़ल
ईश्वर दयाल गोस्वामी
दुख ही दुख है -
दुख ही दुख है -
पूर्वार्थ
*
*"वो भी क्या दिवाली थी"*
Shashi kala vyas
4846.*पूर्णिका*
4846.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
Loading...