पापा
तेरे जाना सुनो पापा
सहा नहि जाता मुझसे है
तेरे बिन दूभर है जीना
कहूँ ये दास्तां किससे है।
लिखे कुर्बानिया तेरी
किसी के बस नहीं पापा
कलम ऐसी विधाता के
पास भी है नहीं पापा
भले ही क्षीण तन तेरा
याचना पर नही आती
अमिय की कामना छोड़ा
विषों से दोस्ती कर ली।
रही हो गर्मी या सर्दी
सदा बस भागते देखा
छिपा कर गोद में मुझको
तुम्हे बस भीगते देखा ।
कभी बीमार जब पड़ता
तुम्हे रोता दिखा छिप के
पूरी जिद रहे मेरी
खपाया खूब है निज को।
वर्षों याद है बीते स्वयं
नए कपड़े नही पहने
हमारे वास्तें ख़ुशियाँ
खर्च करते रहे खुद को।
तेरा जाना मेरे जीवन की
बड़ी दुर्घटना है पापा
तेरे बिन व्यर्थ यह जीवन
बड़ी विपदा पड़ी पापा।
हमारी कामयाबी पर
तुम्हे हँसते हुए देखा
फटी जेबों में डाले हाथ
धनी तुमसा नही देखा।
बराबर कहते थे तुम कि
सम्भाल जाओ समय रहते
अपितु पछताओगे भारी
नही रहने पे तुम मेरे।
तेरा होना ही बेफिक्री
समझ आया है अब मेरे
बड़ी से हो बड़ी विपदा
निवारण पास था तेरे।
सहारे सीख के तेरे
दिवस है बीत ही जाता
बिना तेरी कहानी के
मुझे है नींद नहि आता।
तेरी यादें कसकती है
रात भर सो नही पाता
तेरे बिन अर्थ जीवन का
समझ मुझको नहीं आता।
पता है दुनिया में कोई
अगर मेरा भला चाहे
तुम्ही हो पापा ऐ निर्मेष
जो भगवान् से लड़ जाये।
निर्मेष