Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
19 May 2023 · 1 min read

”पापा ही हैं जो मुझपे भरोसा करते हैं”

कविता-15

मेरी चाहतों को पूरा करने में सर्वस्य न्योछावर करते हैं,
मंजिलें मेरी सरताज हो ऐसी दुआएं करते हैं,
पापा ही हैं जो मुझपे भरोसा करते हैं।
रिश्तो की मर्यादा में जो रहते,लोग स्नेह सदा उन्हे करते हैं,
ना करना किसी का बुरा कभी ये बात भी बताया करते हैं,
पापा ही हैं जो मुझपे भरोसा करते हैं।
आत्म-सम्मान संग शीश उठाकर चलना सिखाया करते हैं,
हर पल खुशी से जीवन जीने को सदैव कहा करते हैं,
पापा ही हैं जो मुझपे भरोसा करते हैं।
अपने सपनों को अब वो मेरी आँखों से देखा करते हैं,
पर अपना अधिकार भी अब कम जताया करते हैं,
पापा ही हैं जो मुझपे भरोसा करते हैं।

83 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from शिव प्रताप लोधी
View all
You may also like:
बात
बात
Ajay Mishra
हर किसी के लिए मौसम सुहाना नहीं होता,
हर किसी के लिए मौसम सुहाना नहीं होता,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
*मॉंगता सबसे क्षमा, रिपु-वृत्ति का अवसान हो (मुक्तक)*
*मॉंगता सबसे क्षमा, रिपु-वृत्ति का अवसान हो (मुक्तक)*
Ravi Prakash
"टमाटर" ऐसी चीज़ नहीं
*Author प्रणय प्रभात*
पूर्ण-अपूर्ण
पूर्ण-अपूर्ण
Srishty Bansal
11कथा राम भगवान की, सुनो लगाकर ध्यान
11कथा राम भगवान की, सुनो लगाकर ध्यान
Dr Archana Gupta
यादों के झरने
यादों के झरने
Sidhartha Mishra
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
एक ही दिन में पढ़ लोगे
एक ही दिन में पढ़ लोगे
हिमांशु Kulshrestha
होली
होली
नवीन जोशी 'नवल'
Two scarred souls and the seashore, was it a glorious beginning?
Two scarred souls and the seashore, was it a glorious beginning?
Manisha Manjari
काव्य की आत्मा और अलंकार +रमेशराज
काव्य की आत्मा और अलंकार +रमेशराज
कवि रमेशराज
नव प्रबुद्ध भारती
नव प्रबुद्ध भारती
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
वादा
वादा
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
महल चिन नेह का निर्मल, सुघड़ बुनियाद रक्खूँगी।
महल चिन नेह का निर्मल, सुघड़ बुनियाद रक्खूँगी।
डॉ.सीमा अग्रवाल
जबकि तड़पता हूँ मैं रातभर
जबकि तड़पता हूँ मैं रातभर
gurudeenverma198
सब दिन होते नहीं समान
सब दिन होते नहीं समान
जगदीश लववंशी
मिट्टी का बस एक दिया हूँ
मिट्टी का बस एक दिया हूँ
Chunnu Lal Gupta
विषय :- काव्य के शब्द चुनाव पर |
विषय :- काव्य के शब्द चुनाव पर |
Sûrëkhâ
कवि की कल्पना
कवि की कल्पना
Rekha Drolia
चाय के दो प्याले ,
चाय के दो प्याले ,
Shweta Soni
बस चार है कंधे
बस चार है कंधे
साहित्य गौरव
दिगपाल छंद{मृदुगति छंद ),एवं दिग्वधू छंद
दिगपाल छंद{मृदुगति छंद ),एवं दिग्वधू छंद
Subhash Singhai
विनती मेरी माँ
विनती मेरी माँ
Basant Bhagawan Roy
दोहा
दोहा
दुष्यन्त 'बाबा'
मैं बिल्कुल आम-सा बंदा हूँ...!!
मैं बिल्कुल आम-सा बंदा हूँ...!!
Ravi Betulwala
मुराद
मुराद
Mamta Singh Devaa
तीन मुट्ठी तन्दुल
तीन मुट्ठी तन्दुल
कार्तिक नितिन शर्मा
गंगा ....
गंगा ....
sushil sarna
Apni Qimat
Apni Qimat
Dr fauzia Naseem shad
Loading...