”पापा ही हैं जो मुझपे भरोसा करते हैं”
कविता-15
मेरी चाहतों को पूरा करने में सर्वस्य न्योछावर करते हैं,
मंजिलें मेरी सरताज हो ऐसी दुआएं करते हैं,
पापा ही हैं जो मुझपे भरोसा करते हैं।
रिश्तो की मर्यादा में जो रहते,लोग स्नेह सदा उन्हे करते हैं,
ना करना किसी का बुरा कभी ये बात भी बताया करते हैं,
पापा ही हैं जो मुझपे भरोसा करते हैं।
आत्म-सम्मान संग शीश उठाकर चलना सिखाया करते हैं,
हर पल खुशी से जीवन जीने को सदैव कहा करते हैं,
पापा ही हैं जो मुझपे भरोसा करते हैं।
अपने सपनों को अब वो मेरी आँखों से देखा करते हैं,
पर अपना अधिकार भी अब कम जताया करते हैं,
पापा ही हैं जो मुझपे भरोसा करते हैं।