*पापा (बाल कविता)*
पापा (बाल कविता)
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( 1 )
थके हुए घर आते पापा
फिर भी हैं मुस्काते पापा
( 2 )
खेल खिलौने रबड़ी लड्डू
रोजाना घर लाते पापा
( 3 )
सबके साथ प्यार से रहना
हमको यह समझाते पापा
( 4 )
भरना फीस बहुत भारी थी
फिर भी हमें पढ़ाते पापा
( 5 )
बूढ़े दादाजी के अक्सर
घंटों पैर दबाते पापा
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रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा ,रामपुर(उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 9997615451