पापा तुम कितने अच्छे थे!
पकड़ के उँगली, थाम के बाँहें, चलना तुम सिखला देते थे।
पापा तुम कितने अच्छे थे, बस रफ्तार बढा़ देते थे।।
आती-जाती, शोर मचाती, रुक जाती थी सड़कों पर,
हौले से पुचकार के मुझको, रस्ते पार करा देते थे।
पापा तुम कितने अच्छे थे, चुपके हाथ छुड़ा लेते थे।।
तुतली बोली, स्लेट-चाक संग, अर्थ-भाव सिखला देते थे।
कैसे पढ़ते आँख किसी की, बात बात समझा देते थे।
पापा तुम कितने अच्छे थे, सारे पाठ पढ़ा लेते थे।।
कैसे सारे मेरे सपने, तुम भी देखा करते थे,
हर छोटी सी जीत पे मेरी, अपनी आँखें भर लेते थे।
पापा तुम कितने अच्छे थे, चुपके आँख चुरा लेते थे।।
स्वरचित
रश्मि लहर