पापा जी का गुस्सा
कक्षा १० वी की बात थी ,
उसदिन अमावास की रात थी !!
मै लिख रहा था कविता ,
अचानक देख रो पड़े पिता !!
बोले बेटा पढ़ाई कर ले ,
हम सब का दुःख हर ले !!
कविता काम नही आयेगी ,
तेरी बीबी क्या खायेगी ?
लोग कहेगे तुझे निकम्मा ,
सुनकर रोयेगी तेरी अम्मा !!
भाई भी तेरे जैसे होगे ,
पॉकेट में न पैसे होगे !!
गली मुहल्ले में रोकेगे ,
बिना बात के वो टोकेगे !!
घर का तू बड़ा बेटा है ,
मीठे में जैसा पेठा है !!
अभी तो है सम्मान हमारा ,
कभी नहीं दुश्मन से हारा !!
खूब पढ़ो और नाम कमाओ ,
मात पिता को चरोधाम कराओ !!
जग में तेरा नाम हो रोशन ,
सुनकर बाते हुआ इमोशन !!
अपने मन में किया प्रतीज्ञा ,
मै पूर्ण करू पापा की आज्ञा !!