पापा घर में
पल दिन कैसे आए ये गांव शहर में
बहुत दिनों में ठहरे अब पापा घर में
अचानक ये कैसी मुश्किल आन पड़ी है
सहमे-सहमे लोग और विपदा की घड़ी है
देख हाल दुनिया का सबका मन घबराया
भर और चिंता का ये कारण कहां से आया
चिंता के ही साथ विराजी खुशी अधर में
बहुत दिनों में ठहरे अब पापा घर में ।
सुबह -सवेरे प्रतिदिन पापा जब काम पर जाते
कभी-कभी ही फुर्सत में मिलते बतियाते
रोज-रोज की भाग-दौड़ और आपाधापी
इतने में आ गया कहां से कोरोना पापी
ठिठके रुके कदम , सभी संकट के डर में
बहुत दिनों में ठहरे अब पापा घर में ।
पहले पापा जाते , घर खाली लगता था
छुट्टी का वादा उनका हरदम ठगता था
अनचाहे ही हाथ अचानक समय ये आया
पाकर साथ सभी जनों का मन हर्षाया
खुशी ढूंढते आज सभी चिन्ता की लहर में
बहुत दिनों में ठहरे अब पापा घर में ।
_अशोक सोनी ।