पापा के ही हाथों में __गीत
पापा के ही हाथों में तो घर की बागडोर है।
मुखिया है वे घर के करते सबकी गौर है।।
(१)
जिम्मेदारी जब से उनके कंधों पर आई है।
रखे कमी न कभी कोई सारी तो निभाई है ।।
व्यवस्थाएं सारी करते कभी नहीं वे थकते है।
कैसे जीवन जीना शिक्षा उनसे ही तो पाई है ।।
सपने सुख के देखे पापा रात_ दिन या भोर है।
पापा के ही हाथों में तो घर की बागडोर है।।
मुखिया है वे घर के करते सब की गौर है।।
(२)
रिश्ते सारे वही निभाते यहां वहां पर जाते हैं।
लेकर आते कुछ न कुछ जब तब घर आते है।।
बेटे बेटी गोद में आकर कितने खुश हो जाते हैं।
बराबरी का हिस्सा देते सबको खूब खिलाते हैं।।
सबके लिए एक जैसा ही रहता मन में ठोर है।
पापा के ही हाथों में तो घर की बागडोर है।।
मुखिया है वे घर के करते सबकी गौर है।।
राजेश व्यास “अनुनय”
बोड़ा तहसील नरसिंहगढ़ जिला राजगढ़ मध्य प्रदेश