पापा की कहानी (भाग-३)
वादन के साथ-साथ गायकी भी सीखते और नाटकों के किरदार में राजा हरिशचंद्र,विक्रम बेताल,श्रवण कुमार,बीरबल और भी पात्रों में अपनी कला का प्रदर्शन करते थें।
रामायण में ऋषि विश्वामित्र श्रीराम,विभीषण,खर और दूषन के पात्रों की और श्री कृष्ण जन्माष्टमी में कृष्ण जी की भूमिका निभाई।
इसके बाद किसी भी धार्मिक कार्यक्रम की शुरूआत में गणेश वंदना करते हुए शुभारंभ करने का सौभाग्य प्राप्त होने लगा। और कार्यक्रम समापन की आरती भी करते थे। और फिर कार्यक्रम के आखिरी में फिल्मी गानों के साथ खूब जनता की फरमाइशें पूरी होतीं और जनता और बड़े बड़े धनवान लोग इनाम घोषित करते।
32 साल की उम्र में महंत जी के बाद अपनी मंडली के नम्बर एक ऑल राउंडर कलाकार कहें जानें लगें। हर रोज की मंडली की कमाई बहुत हद तक निर्भर करनें लगी।
मंडली का नाम बहुत प्रसिद्ध हो चुका था और दशहरा में एक साल पहले से बुकिंग बड़ी बड़ी कम्पनियों (ACC Cement) जैसी में हो जातें थें। खूब नाम और शौहरत कमानें लगें।
मां सरस्वती और मां लक्ष्मी दोनों की कृपा एक साथ बरसनें लगी। लोगों में चर्चा का विषय बन चुके थें। जहां भी कार्यक्रम होते वहां लोगों के दिलों में गहरा प्रभाव छोड़तें, दिलों में बस जातें,उनके मन को हर लेतें,कोई भी वाह वाही किए बिना रह नहीं सकता था।