पापा,मुझे मत मारो। (गर्भ मे एक बेटी का दर्द)
एक बाप अपने बेटी की गर्भ में हत्या कराना चाहता है तो सुनिए उस बेटी के मुख से क्या निकलता है “ पापा मुझे मत मारो, मै भी तो आपके इस प्यारे परिवार रूपी बगीचे का एक फूल ही तो हु, भले ही आप मुझे नही चाहते तो कोई नही पापा जरा सोचिये पापा, जैसे मै अपने पैरो पर चलना सीख जाउंगी सबसे पहले मै ही अपने इन नन्हे नन्हे हाथो से आपके लिए दौड़ कर मै ही पानी लाउंगी पापा, आप को जब कोई जरूरत होगी सबसे पहले मै ही आपके दुःख में हाथ बटाउंगी पापा, अप मुझे भले ही मुझे अपनी परी नही बनाकर रखना चाहते है कोई नही पापा, मै तो अपने जीवन के बदले आपसे कभी कुछ न मागूगी और न ही कोई ऐसी इच्छा भी रखुगी जिससे आपको कोई तकलीफ हो, मै तो आप लोगो के लिए जीवन भर सेवा धर्म निभाउंगी, जब तक आपके पास रहूंगी आपको तकलीफ नही आने दूंगी और ससुराल में जाने के बाद भी आपके मान मर्यादा को मै ही आगे हमेसा बढ़ाउंगी पापा, और जब कोई तकलीफ हो पापा मुझे एक बार पुकार लेना मै कही भी रहू दौड़ी चली आउंगी पापा, बस आप मुझे इस दुनिया में आने दो, मुझे आप एक जीवन देंगे और फिर मैं आपके दिए इस जीवन से आपका हमेसा मान बढ़ाउंगी पापा”
भले ही उपरोक्त बाते काल्पनिक हो सकती है लेकिन एक बेटी अपने पूरे जीवन में हमेसा त्यागभाव से सदैव दुसरो की सेवा में तत्पर रहती है
इसलिए हर माता पिता को अपने बेटे और बेटी में कोई फर्क न करते हुए अपनी बेटियों को भी जीवन जीने का अधिकार देना चाहिए और बेटियों को भी शिक्षा जरुर दिलानी चाहिए क्यूकी जब एक बेटी पढ़ती है तो दो परिवार मजबूत होते है,इसलिए भेदभाव बंद करहमे बेटियो को भी जिंदगी मे खुशी दे।