पानी, पानी बारिश
पानी, पानी बारिश के पानी
झम,झम गिरे, जैसे चलें बरखा रानी
धरती प्यासी,प्यास बुझावें
अंबर छंट के नहा के आवें
सावन के झूले पे गोरी
बैंठकर तेरी राह निहारे ।।
पानी,पानी……………
तू आवें तो बात बन जावें
तन-मन को तेरी बात हर्षाए
हवा बैरी आंख दिखाएं
गरज के बादल शोर मचावें।।
पानी,पानी……………..
कोयल, पपिहा गीत सुनावें
नाच के मोर जीया ललचावें
तन-मन को हाय आग लग जावें
जब तन से चुनरिया शर्क-शर्क जावें।।
पानी,पानी…………………….
बिजली रानी चम-चम चमकें
गोरी दिवानी झूम-झूमके नाचें
सावन की लरिया शबनम बन जावें
जब किसी हुस्न से बूंदें टकरावें।।
पानी,पानी……………….
सावन की बात सुहानी
हवाएं करतीं हैं अटकानी
सूरज निरंतर आवे-जावें
धरती दुल्हन सी सज जावें।।
पानी, पानी………….
नीतू साह