Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
2 Aug 2016 · 1 min read

पानी की बून्द!

सागर कहलाती हो तुम होकर भी पानी की बून्द
मत होना अलग तुम सागर से कभी भी
तुम्हारा अस्तित्व जुड़ा है इसी से
सागर में तुम समाहित हो
जिस दिन अलग होओगी
बून्द बन जाओगी
बून्द कहलाओगी
जब तक सागर के साथ हो तब तक
सागर की लहरो में मचल रही हो
सुनामी बन कहर ढहा रही हो
ज्वार भाटे का आनन्द ले पा रही हो
कभी शांत बन दुनिया को
एक आदर्श के रूप में दिख रही हो
दुनियां के तिहाई क्षेत्र पर तुम्हारा अधिकार है
मौजों में उठती गिरती हो,
समुन्द्र में हो सकता है कुछ तकलीफे हो तुम्हे
पर प्यारी बूँद तुम भारतीय नारी की भांति
समर्पण त्याग साहस की गाथा को दोहराना
सागर से अलग मत होना
नहीं तो बून्द बन जाओगी
अभी तुम्हारे खुद के मस्तक पर
सागर के नाम की बिंदियाँ तुम्हारी पहचान है
” दिनेश”
क्रमशः

Language: Hindi
1 Comment · 784 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
"कौवे की बोली"
Dr. Kishan tandon kranti
*पुस्तक समीक्षा*
*पुस्तक समीक्षा*
Ravi Prakash
जीवन - अस्तित्व
जीवन - अस्तित्व
Shyam Sundar Subramanian
कुछ दबी हुई ख्वाहिशें
कुछ दबी हुई ख्वाहिशें
हिमांशु Kulshrestha
खुशामद किसी की अब होती नहीं हमसे
खुशामद किसी की अब होती नहीं हमसे
gurudeenverma198
वस्तुएं महंगी नही आप गरीब है जैसे ही आपकी आय बढ़ेगी आपको हर
वस्तुएं महंगी नही आप गरीब है जैसे ही आपकी आय बढ़ेगी आपको हर
Rj Anand Prajapati
दिल है पाषाण तो आँखों को रुलाएँ कैसे
दिल है पाषाण तो आँखों को रुलाएँ कैसे
Dr Archana Gupta
ग़ज़ल _ मुहब्बत से भरे प्याले , लबालब लब पे आये है !
ग़ज़ल _ मुहब्बत से भरे प्याले , लबालब लब पे आये है !
Neelofar Khan
क्षणिकाएं
क्षणिकाएं
Suryakant Dwivedi
इतना ही बस रूठिए , मना सके जो कोय ।
इतना ही बस रूठिए , मना सके जो कोय ।
Manju sagar
तेरा दीदार जब नहीं होता
तेरा दीदार जब नहीं होता
Dr fauzia Naseem shad
आओ गुणगान देश का गाएं
आओ गुणगान देश का गाएं
Pratibha Pandey
बेवजह कभी कुछ  नहीं होता,
बेवजह कभी कुछ नहीं होता,
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
मजदूर
मजदूर
Preeti Sharma Aseem
जैसे-जैसे आप बड़े होते जाते हैं, आपको यह एहसास होता जाता है
जैसे-जैसे आप बड़े होते जाते हैं, आपको यह एहसास होता जाता है
पूर्वार्थ
साँझ- सवेरे  योगी  होकर,  अलख  जगाना  पड़ता  है ।
साँझ- सवेरे योगी होकर, अलख जगाना पड़ता है ।
Ashok deep
😊आज का दोहा😊
😊आज का दोहा😊
*प्रणय*
एक डरा हुआ शिक्षक एक रीढ़विहीन विद्यार्थी तैयार करता है, जो
एक डरा हुआ शिक्षक एक रीढ़विहीन विद्यार्थी तैयार करता है, जो
Ranjeet kumar patre
अदब से उतारा होगा रब ने ख्बाव को मेरा,
अदब से उतारा होगा रब ने ख्बाव को मेरा,
Sunil Maheshwari
प्रभु हैं खेवैया
प्रभु हैं खेवैया
Dr. Upasana Pandey
पितृ पक्ष व् तर्पण।
पितृ पक्ष व् तर्पण।
Shashi kala vyas
3721.💐 *पूर्णिका* 💐
3721.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
"राजनीति में जोश, जुबाँ, ज़मीर, जज्बे और जज्बात सब बदल जाते ह
डॉ.एल. सी. जैदिया 'जैदि'
मोतियाबिंद
मोतियाबिंद
Surinder blackpen
*जिंदगी*
*जिंदगी*
Harminder Kaur
कुंडलिया
कुंडलिया
Sarla Sarla Singh "Snigdha "
भावनात्मक निर्भरता
भावनात्मक निर्भरता
Davina Amar Thakral
नाइजीरिया में हिंदी
नाइजीरिया में हिंदी
Shashi Mahajan
***नयनों की मार से बचा दे जरा***
***नयनों की मार से बचा दे जरा***
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
व्याकुल मन की व्यञ्जना
व्याकुल मन की व्यञ्जना
हिरेन जोशी
Loading...